जापानी कार कंपनी टोयोटा मोटर्स ने भारत में अपने बिजनेस का विस्तार न करने का फैसला लिया है। इसके लिए कंपनी ने भारत में ज्यादा टैक्स को जिम्मेदार बताया है। कंपनी का यह फैसला केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के लिए झटका है, जो भारत में ग्लोबल कंपनियों को आमंत्रित करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। टोयोटा की लोकल यूनिट टोयोटा किर्लोस्कर मोटर के वाइस चेयरमैन शेखर विश्वनाथन ने कहा सरकार ने कार एवं मोटरसाइकिल पर बहुत ज्यादा टैक्स लगाया हुआ है। इससे कंपनी को बड़े पैमाने पर उत्पादन करने में दिक्कत हो रही है।
विश्वनाथन ने कहा कि ज्यादा टैक्स लगने के कारण ग्राहक कार नहीं खरीद पा रहे हैं, जिसकी वजह से फैक्ट्रियां ठप पड़ी है और नई नौकरियां नहीं मिल रहीं। विश्वनाथन ने एक इंटरव्यू में कहा हम इंडिया से एग्जिट तो नहीं करेंगे परंतु अगर कोई रिफॉर्म नहीं होता तो हम इस स्थिति में प्रोडक्शन नहीं बढ़ा सकेंगे। टोयोटा दुनिया की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनियों में से एक है, जिसने 1997 में भारत में कार मैन्युफैक्चरिंग शुरू की थी। इसकी लोकल यूनिट में जापानी कंपनी के 89 फीसदी शेयर हैं।
फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर एसोसिएशन के डाटा के अनुसार अगस्त में टोयोटा का मार्केट शेयर घटकर 2.6 फीसदी रहा, जो पिछले साल 5 फीसदी था। भारत में मोटर व्हीकल जिनमें दो पहिया और स्पोर्ट यूटिलिटी व्हीकल शामिल है, उन पर 28 पर्सेंट का टैक्स लगाया जाता है। कार के प्रकार लंबाई और इंजन के अनुसार भी 1 से 22 फीसदी तक का अतिरिक्त टैक्स लगाया जा सकता है। 4 मीटर लंबी एसयूवी जो 1500 cc की इंजन कैपेसिटी में आती है, उस पर लगभग 50% टैक्स लग रहा है।
जनरल मोटर्स भी समेट चुकी है बिजनेस: इससे पहले 2017 में जनरल मोटर कॉरपोरेशन ने अपना भारत का बिजनेस बंद कर दिया था, जबकि फोर्ड मोटर्स कॉरपोरेशन पिछले वर्ष अपने असेट्स महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड को एक ज्वाइंट वेंचर में देने के लिए तैयार हो गया। एक समय फोर्ड का उद्देश्य 2020 तक भारत की टॉप 3 ऑटोमोबाइल कंपनियों में शामिल होना था। अब फोर्ड ने भारत में अपने सभी इंडिपेंडेंट ऑपरेशन बंद कर दिए हैं।