आदिल शेट्टी,
बच्चे की परवरिश करने में अपना एक अलग आनंद है लेकिन इसके साथ आपको कई जिम्मेदारियों का भी पालन करना पड़ता है और आर्थिक सहयोग इस तरह की सबसे चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारियों में से एक है। अपने नन्हें बच्चे के लिए आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आपको अपने टारगेट्स पर फिर से काम करने और आवश्यक संशोधन करने की जरूरत है। इसका मतलब है कि आपको अपने खर्च में कटौती करनी होगी और अपने बच्चे की आर्थिक सुरक्षा और हित के अनुसार अन्य फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स खरीदते रहने होंगे। आप नहीं चाहेंगे कि सही समय पर सही फाइनेंशियल विकल्प न चुनने के कारण आपके बच्चे को अपना करियर चुनते समय या अपनी जिंदगी में कोई महत्वपूर्ण कार्य करते समय कोई समझौता करना पड़े। चलिए अब उन बातों पर गौर करते हैं जिन पर आपको अपने पोर्टफोलियो को मजबूत करने के लिए जरूर विचार करना चाहिए।

अपने लाइफ कवर पर फिर से नजर दौड़ाएं
फाइनेंशियल जिम्मेदारियों में वृद्धि होने के साथ लाइफ इंश्योरेंस कवर को समय-समय पर अपग्रेड करना पड़ता है। इसके लिए आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आपके ऊपर निर्भर रहने वाले लोग आपकी असमय मौत होने पर आर्थिक दृष्टि से सुरक्षित रहें। आपके बच्चे के बढ़ने के साथ-साथ आपका खर्च, लक्ष्य, कर्ज, इत्यादि भी बढ़ेंगे और इसलिए आपकी आमदनी भी बढ़ेगी। इसलिए, यह जरूर देख लें कि आपके बच्चे के पास, आपका कर्ज चुकाने और आपकी गैर मौजूदगी में बुनियादी जरूरतों का ख्याल रखने के लिए अपनी जिंदगी के हर पड़ाव में निर्भर रहने लायक पैसे रहे।

हेल्थ कवर में अपने बच्चे को शामिल करें
यदि आपने एक फैमिली फ्लोटर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी ली है तो आप कोई अतिरिक्त प्रीमियम दिए बिना, अपने नए बच्चे के जन्म के बारे में इंश्योरेंस कंपनी को सूचित करके अपनी मौजूदा पॉलिसी में अपने नए जन्मे बच्चे को शामिल कर सकते हैं। अधिकांश हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां, बच्चे के पहले साल में फ्री हेल्थ कवर देती हैं। इसलिए अपने बच्चे के 25 साल का होने तक उसे जरूर इंश्योर्ड रखें। क्योंकि उसके बाद वह अपने लिए एक अलग पॉलिसी खरीद सकते हैं। यदि शुरूआती उम्र में एक पॉलिसी खरीद ली जाती है तो किसी प्री-हेल्थ चेक-अप की जरूरत नहीं पड़ती है और सारी बीमारियां आसानी से कवर हो जाती हैं। इसके अलावा, इसके लिए कोई प्रतीक्षा अवधि भी नहीं होती है।

एक इमरजेंसी फंड तैयार रखें
आपको नौकरी छूटने या अचानक बीमार पड़ने जैसी फाइनेंशियल इमरजेंसी से निपटने के लिए एक लिक्विड फंड तैयार रखना चाहिए। क्योंकि इन परिस्थितियों के कारण लोगों को काफी समय तक काम से बाहर रहने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है जिससे पैसे की तंगी हो सकती है। ऐसे समय में, एक इमरजेंसी फंड आपके यूटिलिटी बिल, किराया, ट्यूशन फीस, इत्यादि का ख्याल रख सकता है और आपकी बचत की रकम खर्च होने से बच जाएगी और आपको कर्ज के जाल में फंसना नहीं पड़ेगा। रेकरिंग डिपोजिट (RD) और फिक्स्ड डिपोजिट, इस काम के लिए आपके पसंदीदा निवेश विकल्प हो सकते हैं। एक ऐसा इमरजेंसी फंड तैयार करने की कोशिश करें जिससे आपके 6 से 12 महीने का मासिक खर्च चल सके।

ऐसे साधनों में निवेश करें जो महंगाई को मात दे सकता हो
हो सकता है, आप पैसे बचाने की भरपूर कोशिश कर रहे हों लेकिन यदि आप अपना सारा पैसा एक ही निवेश साधन में निवेश कर देंगे जो महंगाई को मात देने में सक्षम नहीं है तो आप उसका रिटर्न देखकर निराश ही होंगे। महंगाई लगातार अपना काम करती रहती है जिससे समय-समय पर पैसे का मूल्य घटता रहता है। इसका मतलब है कि भविष्य में शिक्षा और अधिक महंगी हो जाएगी और इसी तरह हेल्थ केयर प्रोडक्ट्स और बाकी हर चीज भी। मान लीजिए, इस समय एक कोर्स का खर्च 10 लाख रुपए है। मान लीजिए, महंगाई हर साल 5% की दर से बढ़ रही है, इस हिसाब से 15 साल में उसी कोर्स का खर्च 20.79 लाख रुपए हो जाएगा। इसलिए अपने बच्चे की ऊंची शिक्षा या भावी आवश्यकताओं के लिए पैसे बचाते समय, अपने पैसे एक ऐसे फंड में रखें जो अधिक वृद्धि देगा जैसे म्यूच्यूअल फंड और एक महंगाई को मात देने वाले फंड को निशाना बनाएं।

कर्ज को कम करने की कोशिश करें
आप नहीं चाहेंगे कि आप अपने बच्चे को विरासत में कर्ज का बोझ देकर जाएं जब वह बड़ा/बड़ी हो जाएगा/जाएगी। वर्ना उस पर कर्ज का बोझ बढ़ जाएगा। इसलिए, गैर जरूरी लोन न लें और कोई लोन चुकाए बिना न छोड़ें क्योंकि आप आगे चलकर उसे चुका नहीं पाएंगे। इसलिए लोन लेते समय हर लोन को चुकाने की योजना जरूर बनाएं ताकि आप समय पर उसे चुका सके।
लेखक बैंक बाजार डॉट कॉम के सीईओ हैं।