कोयले की कमी (Coal Shortage) के चलते देश एक अभूतपूर्व बिजली संकट (Power Crisis) की दहलीज पर खड़ा है। दिल्ली (Delhi), पंजाब (Punjab) और राजस्थान (Rajsthan) समेत कई राज्यों के थर्मल पावर प्लांट (Thermal Power Plant) पहले से संकट का सामना कर रहे हैं। ऐसे में टाटा (Tata) और अडानी (Adani) देश को आसन्न ब्लैकआउट (Blackout) से उबारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। नियमों में दी गई हालिया ढील से इन दो समूहों को अहम मौका मिला है।
कई Thermal Power Plant के पास महज एक दिन का कोयला
देश के कई राज्यों के थर्मल पावर प्लांट के पास कोयले की कमी हो गई है। इनके पास अभी कुछ ही दिनों का स्टॉक बचा है। सामान्य दिनों में थर्मल पावर प्लांट एक महीने के कोयले का स्टॉक रखते हैं, लेकिन अभी कई प्लांट के पास महज एक दिन का स्टॉक बाकी है। यदि कोयले की आपूर्ति की तत्काल कोई व्यवस्था नहीं हो पाई तो कई राज्य अंधेरे में डूब सकते हैं।
नियमों में हालिया बदलाव से मिल सकती है राहत
संकट को देखते हुए सरकार लगातार कोयले के स्टॉक पर नजर बनाए हुए है। इसके लिए दो इंटरमिनिस्ट्रियल समूह (Inter Ministrial Group) बनाए गए हैं। सरकार ने नेशनल टैरिफ पॉलिसी (National Tariff Policy) के कुछ प्रावधानों को भी पिछले सप्ताह बदला है। इसके चलते अब वैसे संयंत्र भी एक्सचेंज पर बिजली बेच सकेंगे, जो आयातित कोयले से चलते हैं।
Tata Power, Adani Power बन सकती हैं तारनहार
अडानी पावर (Adani Power) और टाटा पावर (Tata Power) के पास ऐसे कुछ संयंत्र हैं, जो आयातित कोयले से बिजली का उत्पादन करते हैं। प्रावधानों में हालिया बदलाव से ऐसे संयंत्र अब सीधे एक्सचेंज पर बिजली बेच सकेंगे। अभी तक ऐसे संयंत्रों के साथ बाध्यता थी कि वे सिर्फ राज्यों को ही बिजली देंगे। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कायेले का भाव 150 डॉलर प्रति टन छू चुका है। ऐसे में आयातित कोयले पर चलने वाले संयंत्रों ने बिजली का उत्पादन बंद कर दिया था, क्योंकि पावर पर्चेज एग्रीमेंट के हिसाब से इनके सामने पूर्व निर्धारित दर पर ही राज्यों को बिजली देने की बाध्यता थी।
ग्राहकों को आगाह कर रहीं पावर कंपनियां
उद्योग जगत के विशेषज्ञों का मानना है कि नई छूट से टाटा पावर और अडानी पावर के कुछ ऐसे संयंत्र एक-दो दिन में बिजली का उत्पादन शुरू कर देंगे। इससे एक्सचेंज पर बिजली की कीमतें कुछ कम होंगी। एक्सचेंज पर बिजली की बिक्री से जो पैसा मिलेगा, उसमें राज्यों को भी आधा शेयर मिलेगा।
आसन्न संकट की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कई बिजली कंपनियां ग्राहकों को इसके बारे में आगाह करने लगी है। टाटा पावर ने दिल्ली के ग्राहकों को भेजे संदेश में बचा-बचाकर बिजली का इस्तेमाल करने की अपील की है। कंपनी ने इसके लिए कोयले की कमी का हवाला दिया है।
राजस्थान में 10-14 घंटे तक काटी जा रही बिजली
राज्यों के हिसाब से देखें तो राजस्थान में कई इलाकों में 10-14 घंटे बिजली काटी जा रही है। सरकार ने 10 बड़े शहरों में भी बिजली की कटौती करने का फैसला लिया है। आंध्र प्रदेश में थर्मल पावर प्लांट 50 प्रतिशत क्षमता से ही काम कर पा रहे हैं।
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बिहार और झारखंड तक पहुंचा बिजली संकट
पंजाब, तमिलनाडु, ओडिशा जैसे राज्य केंद्र सरकार को बार-बार पत्र लिखकर कोयले की आपूर्ति सामान्य करने की मांग कर रहे हैं। इन राज्यों की सरकारों का कहना है कि उनके थर्मल पावर प्लांट के पास एक से चार दिन का ही कोयला बचा है। ऐसे में सारे संयंत्र कम क्षमता से काम कर रहे हैं, जबकि बिजली की पीक डिमांड बनी हुई है। रॉयटर की एक रिपोर्ट के अनुसार, बिहार और झारखंड जैसे राज्य भी इस संकट की चपेट में आ चुके हैं। यहां भी बिजली की कटौती की जाने लगी है।