टाटा ग्रुप की कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) में नौकरी के तरीकों को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं, क्योंकि ऐसी रिपोर्टें आ रही हैं कि कर्मचारियों को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया जा रहा है, इसमें ऐसे कर्मचारी भी शामिल है। जिनका कार्यकाल मुश्किल से दो वर्ष का है।
X (Twitter) पर फोरम फॉर IT एम्प्लॉइज (FITE) ने जो आरोप लगाए हैं, वे इंटरनल एग्जाम पर फोकस करते हैं, जिसके बारे में कई कर्मचारियों का दावा है कि इसका इस्तेमाल स्किल्स का आकलन करने के बजाय जॉब सिक्योरिटी तय करने के लिए किया जा रहा है।
कर्मचारियों ने एग्जाम पर अपनी बात रखी
FITE के अनुसार, इंटरनल असेसमेंट के बाद साफ-साफ न दिखने वाले वैल्यूएशन के तरीकों के साथ बड़ी संख्या में कर्मचारियों पर नौकरी छोड़ने का दबाव डाला जा रहा है। ट्वीट में कहा गया, “अब सिर्फ लंबे समय से काम कर रहे कर्मचारी ही नहीं हैं। यहां तक कि मुश्किल से 2 साल का कार्यकाल वाले कर्मचारियों को भी इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया जा रहा है।”
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हमारे सहयोगी फाइनेंशियल एक्सप्रेस के अनुसार, फोरम ने मांग की है कि ट्रांसपेरेंसी पक्का करने के लिए TCS कर्मचारियों के साथ एग्जाम पेपर और स्कोर शेयर करे। FITE ने 70-80% पासिंग क्राइटेरिया की आलोचना करते हुए और ज्यादा सही मूल्यांकन की मांग करते हुए कहा, “जब कोई एग्ज़ाम किसी की रोजी-रोटी तय करता है, तो कर्मचारियों को यह देखने का अधिकार है कि उन्होंने कहां गलती की।”
महाराष्ट्र के लेबर मिनिस्टर आकाश फुंडकर से इस स्थिति पर ध्यान देने की अपील की गई है। FITE ने ट्वीट किया, “लेबर मिनिस्टर होने के नाते, IT कर्मचारियों की सुरक्षा आपकी प्राथमिकता होनी चाहिए। TCS के अंदर क्या हो रहा है?”
आईटी सेक्टर में लेबर कानून में सुधार की मांग
इस विवाद ने भारत की IT इंडस्ट्री में लेबर सुरक्षा पर बड़ी बहस छेड़ दी है। एक सोशल मीडिया यूज़र ने कहा, “जब तक इस सेक्टर पर कड़े लेबर कानून लागू नहीं होते, IT ऑर्गेनाइजेशन अपनी मर्ज़ी से हायर और फायर कर सकते हैं। अगर वे आयरलैंड में ऐसा करने की कोशिश करते हैं, तो उन्हें पता चल जाएगा कि बॉस कौन है।”
