देश की दिग्गज आईटी कंपनी टीसीएस के पहले सीईओ रहे फकीर चंद कोहली का गुरुवार को निधन हो गया। ‘फादर ऑफ इंडियन आईटी इंडस्ट्री’ कहे जाने वाले कोहली को टीसीएस को इस स्वरूप में लाने का श्रेय दिया जाता है। टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा ने एफसी कोहली को याद करते हुए कहा, ‘एफसी कोहली ने टीसीएस को तैयार करने का काम किया था और उसके शुरूआती सालों में उसकी लीडरशिप की थी। उन्होंने शुरुआती सालों में कंपनी को दिशा देने का काम किया था और उसके ग्रोथ के विजन को तय किया था।’ उन्होंने कहा कि टीसीएस को वैश्विक स्तर पर सफल बनाने में उनके शुरुआती विजन का अहम योगदान था और उसी के चलते कंपनी आज इस स्थिति में है।
रतन टाटा ने कहा कि तकनीकी से जुड़े तमाम सेक्टर्स में कोहली का योगदान अद्भुत था। उन्हें भारत की सफल आईटी इंडस्ट्री के फादर के तौर पर याद किया जाएगा। भारत में आईबीएस की एंट्री में भी कोहली का अहम योगदान माना जाता है। उसके बाद ही 1991 में टाटा और आईबीएम ने साथ मिलकर काम की शुरुआत की थी। टीसीएस की स्थापना करने और फिर उसे आगे बढ़ाने में एफसी कोहली के योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।
उन्हें 1970 में कंपनी के निदेशक के तौरपर जिम्मेदारी मिली थी और फिर वह इस कंपनी के पहले सीईओ बने थे। एफसी कोहली ने 1999 में रिटायरमेंट लिया था, लेकिन तब तक वह टीसीएस को देश की दिग्गज आईटी कंपनी बना गए थे। 75 साल की उम्र में रिटायर होने वाले कोहली ने टीसीएस को उस मुकाम पर पहुंचाकर छोड़ा था, जहां से उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज टीसीएस दुनिया की सबसे ज्यादा वैल्यूएशन वाली आईटी कंपनी है। भारत की बात करें तो मार्केट कैपिटलाइजेशन के मामले में टीसीएस रिलायंस इंडस्ट्रीज के बाद दूसरे नंबर पर है।
टीसीएस के पूर्व सीईओ और मौजूदा वाइस चेयरमैन एस. रामादुरई कहते हैं, ‘वह एक शानदार टेक्नोक्रेट था और तमाम योग्यताओं वाले बिजनेस लीडर थे। वह हमारे देश और युवाओं के विकास के लिए जुनून के साथ काम करते थे।’ मैनेजमेंट कंसल्टेंट हीरू बिजलानी कहते हैं, ‘कोहली इस तरह से काम करते थे, जैसे वह कंपनी के प्रमोटर हों। एक मालिक की तरह ही वह काम करते थे और संसाधनों का एकदम सही इस्तेमाल करते थे। उन्हें पता था कि इसका असर कॉरपोरेट बैलेंस शीट पर भी देखने को मिलता है।’