उड़ान भरने से टाटाओं (TATAs) का प्रेम जगजाहिर है। यह जुड़ाव सिर्फ जेआरडी टाटा (JRD Tata) को ही नहीं था, जिन्होंने भारत को पहली एयरलाइन (First Indian Airline) बनाकर दी। उनके बाद टाटा संस (Tata Sons) की बागडोर संभालने वाले रतन टाटा (Ratan Tata) भी विमान उड़ाने का शौक रखते हैं। एक समय ऐसा था जब उन्होंने विमान उड़ाने का शौक पूरा करने के लिए जूठे बर्तन धोने की नौकरी कर ली थी।
फ्रांस में फ्लाइट की सवारी से शुरू हुआ TATAs का हवाई सफर
विमान और उड़ान से टाटाओं का संबंध जेआरडी टाटा के समय से शुरू हुआ। वह कॉमर्शियल पायलट का लाइसेंस पाने वाले भारतीय माने जाते हैं। फ्रांस में एक फ्लाइट की सवारी से शुरू हुई कहानी ने 1932 में टाटा एयरलाइंस के रूप में भारत को पहली एयरलाइन कंपनी दे दी।
डाक ढोने से शुरू की थी हवाई सेवा
जेआरडी टाटा ने एयरफोर्स के पायलट नेविल विंसेंट के साथ मिलकर कंपनी शुरू। इसमें उन्होंने तब दो लाख रुपये लगाए थे। इस कंपनी की शुरुआत यात्री उड़ानों के लिए नहीं बल्कि डाक ढोने के लिए की गई थी। इसकी पहली डाक सेवा की उड़ान कराची से मद्रास के लिए थी और इसमें जेआरडी टाटा खुद पायलट बने थे।
प्रसिद्ध महाराजा लोगो भी Tata की देन
बाद में यही टाटा एयरलाइंस का नाम बदलकर एयर इंडिया कर दिया गया। इसका प्रसिद्ध महाराजा लोगो भी जेआरडी टाटा की देन है। इसे जेआरडी टाटा ने एयर इंडिया की अंतरराष्ट्रीय सर्विस के लिए डिजायन करवाया था।
पत्नी के साथ मिलकर चुनते थे एयर होस्टेस, खुद तय करते थे मेन्यू
एयर इंडिया से जेआरडी टाटा के लगाव की कई कहानियां हैं। वह एयर होस्टेस को चुनने में भी भागीदारी लेते थे और दस काम में उन्हें अपनी पत्नी से मदद मिलती थी। एयर इंडिया के मेन्यू में मांस से लेकर टमाटर और अंडे तक उन्होंने खुद शामिल किया था।
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उड़ान भरने के लिए Ratan Tata ने धोये थे बर्तन
जेआरडी टाटा के बाद टाटा संस संभालने वाले रतन टाटा कॉलेज के दिनों से जहाज उड़ाना चाहते थे। जब वह अमेरिका में पढ़ रहे थे, उन्हें इसका सुनहरा मौका मिला। हालांकि रतन टाटा को तब इतने पैसे नहीं मिलते थे। विमान उड़ाने की फीस जुटाने के लिए उन्होंने कई नौकरियां की। उन्होंने कुछ समय रेस्तरां में जूठे बर्तन धोने की भी नौकरी की। उनके नाम 70 साल की उम्र में एफ16 फाल्कन फाइटर प्लेन उड़ाने वाले पहले भारतीय होने का भी कीर्तिमान दर्ज है।