टाटा समूह (Tata Group) ने 18 हजार करोड़ रुपये की सबसे बड़ी बोली पेशकर एयर इंडिया (Air India) को अपने नाम कर लिया है। हालांकि अभी एयर इंडिया के उड़ान भरने की राह में कई रोड़े बचे हुए हैं, जो टाटा के लिए नई मुसीबत बन सकते हैं। एयर इंडिया के कर्मचारियों के यूनियन (Air India Workers Union) ने सरकारी एयरलाइन के निजीकरण से पहले कई मुद्दों का हल करने की मांग की है। इनमें अटकी सैलरी (Pending Salary) से लेकर स्टाफ क्वार्टर (Staff Quarter) और विमानों के पुराने केबिन तक शामिल हैं।
Joint Forum ने पत्र लिखकर उठाए मुद्दे
एयर इंडिया के कर्मचारी यूनियन के ज्वायंट फोरम (Joint Forum) ने इस सप्ताह नागर विमानन सचिव राजीव बंसल को इस बारे में एक पत्र लिखा है। इसमें यूनियन ने कहा है कि टाटा समूह को एयर इंडिया हैंडओवर किए जाने से पहले पीएल, सीएल जैसी छुट्टियों को लेकर स्थिति स्पष्ट की जानी चाहिए। ये छुट्टियां कैरी फॉरवर्ड होने या इनकैश होने को लेकर तत्काल निर्णय लिए जाएं।
स्टाफ क्वार्टर और रिटायरमेंट बेनेफिट भी मुद्दा
एयर इंडिया के कर्मचारियों ने क्वार्टर को लेकर कहा है कि उन्हें एक साल की नौकरी की गारंटी दी गई है। अत: उन्हें एक साल की नौकरी की अवधि तक के लिए या वीआरएस (VRS) चुने जाने तक क्वार्टर में रहने दिया जाए। स्थाई कर्मचारियों को रिटायरमेंट बेनेफिट (Retirement Benefit) को लेकर भी गतिरोध कायम है।
सैलरी महामारी से पहले के स्तर पर करने की मांग
पिछले साल महामारी के चलते एयर इंडिया के कर्मचारियों की सैलरी में कटौती की गई थी। कर्मचारियों का कहना है विमानन क्षेत्र में चीजें सामान्य होने लगी हैं। ऐसे में उनकी सैलरी और भत्ते कोविड से पहले के स्तर पर लाए जाने चाहिए। कर्मचारी हैंडओवर से पहले एरियर के मुद्दे का भी समाधान चाहते हैं।
अंडरटेकिंग पर साइन में देरी से टाटा को हो सकता है नुकसान
सरकार ने एयर इंडिया के कर्मचारियों को भेजे गए नोटिस में अंडरटेकिंग (Undertaking) पर 15 दिनों के भीतर साइन करने को कहा है। ऐसा नहीं करने पर 15 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाने की बात कही गई है। कर्मचारी इस नोटिस का भी विरोध कर रहे हैं। यदि अंडरटेकिंग पर साइन होने में लंबा समय लगा तो टाटा समूह को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
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केबिन पर भी करना होगा काम
इसके अलावा एयर इंडिया के विमानों के केबिन के चलते भी टाटा समूह को दिक्कतें हो सकती हैं। इंडिगो, स्पाइसजेट जैसे प्राइवेट एयरलाइन के केबिन और सीट की तुलना में एयर इंडिया के विमान पीछे छूट जाते हैं। बाजार में प्रतिस्पर्धी बनने के लिए टाटा समूह को एयर इंडिया की सर्विस की गुणवत्ता पर काफी काम करना होगा। रतन टाटा ने भी यह बात स्वीकार की थी। उन्होंने माना था कि एयर इंडिया को पहले जैसा बनाने में बहुत मेहनत करने की जरूरत होगी।