भारतीय शेयर बाजार में आज 25 फरवरी से कारोबार करने का तरीका बदल गया है। बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने शेयर बाजार में T+1 सेटलमेंट साइकिल लागू करने का फैसला किया है। जिससे निवेशकों को पहले के मुकाबले पैसा जल्दी मिलेगा। चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा ऐसा देश है जहां पर T+1 सेटेलमेंट को लागू किया गया है।
क्या होता है T+1 सेटलमेंट साइकिल?: शेयर बाजार में शेयरों की खरीद और बिक्री का एक सेटलमेंट साइकिल होता है। यह सेटलमेंट साइकिल तभी पूरा होता है जब खरीददार को शेयर मिल जाते हैं और बेचने वाले को उसकी राशि। 2002 की शुरुआत में सेटलमेंट साइकिल को T+5 से घटाकर T+3, फिर 2003 में T+3 से घटाकर T2 कर दिया गया था।
आखिरी के 100 शेयरों से होगी शुरुआत: नवंबर में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के संयुक्त बयान के मुताबिक 25 फरवरी से बाजार पूंजीकरण के हिसाब से एनएसई और बीएसई के आखरी के 100 शेयरों में T+1 सेटेलमेंट साइकिल लागू हो जाएगा। जिसके बाद मार्च के आखिरी शुक्रवार को फिर बाजार पूंजीकरण के हिसाब से आखिरी के 500 शेयरों में T+1 सेटेलमेंट साइकिल को लागू किया जाएगा। इसी तरह हर महीने 500 शेयरों को जोड़ा जाएगा। T+1 सेटेलमेंट साइकिल को सेबी चरणबद्ध तरीके से लागू कर रहा है जिससे ब्रोकर्स और एक्सचेंज को भी अपने सिस्टम अपग्रेड करने के लिए समय मिल सके।
निवेशकों को कैसे होगा फायदा?: जिन शेयरों में T+1 सेटेलमेंट साइकिल लागू हो जाएगा। निवेशकों को उन शेयरों की डिलीवरी शेयर खरीदने के 24 घंटे में उनके डीमैट खातों में मिल जाएगी। जबकि T+2 सेटलमेंट साइकिल में यह प्रक्रिया 48 घंटे में पूरी होती है। उदाहरण के लिए यदि आपने बुधवार को किसी कंपनी के शेयर खरीदे हैं तो T+1 सेटलमेंट साइकिल मैं आपको शेयरों की डिलीवरी गुरुवार को मिल जाएगी। जबकि T+2 सेटलमेंट साइकिल में शेयरों की डिलीवरी शुक्रवार को मिलेगी।T+1 सेटलमेंट साइकिल वाले शेयरों की लिस्ट बीएसई और एनएसई की वेबसाइट पर उपलब्ध है।
यह देश भी कतार में: सिंगापुर, हांगकांग, ऑस्ट्रेलिया जापान और साउथ कोरिया के एक्सचेंज भी T+1 सेटलमेंट साइकिल लागू करने पर काम कर रहे हैं।