कांग्रेस नेतृत्व को हाल ही में चिट्ठी लिखकर परिवर्तन का सुझाव देने वाले 23 नेताओं में शामिल रहे कपिल सिब्बल देश के नामी वकीलों में से एक हैं। कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री होने के साथ ही अधिवक्ता के तौर पर भी वह पार्टी की खासी मदद करते रहे हैं। यहां तक कि पार्टी सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस से जुड़े मसलों की पैरवी के लिए वह कोई चार्ज नहीं लेते, जबकि सुप्रीम कोर्ट में एक दिन की सुनवाई का वह 8 लाख रुपये से लेकर 15 लाख रुपये तक चार्ज करते हैं। यही नहीं कांग्रेस के एक अन्य सीनियर लीडर अभिषेक मनु सिंघवी भी एक दिन की पैरवी का 6 लाख रुपये तक चार्ज करते हैं, जबकि मशहूर वकील हरीश साल्वे की फीस तो 15 लाख रुपये तक है।
दिलचस्प बात यह है कि केंद्रीय मंत्री रहने के दौरान कपिल सिब्बल ने कोई केस नहीं लड़ा था, लेकिन 2014 के चुनावों में दिल्ली की चांदनी चौक लोकसभा सीट से हारने के बाद उन्होंने फिर से वकालत के पेशे में वापसी की थी। उन्होंने बार काउंसिल से अपना लाइसेंस रीन्यू कराया था और वापस अपने वकालत के पेशे में लौट आए थे। उनके अलावा पी. चिदंबरम और वीरप्पा मोइली जैसे दिग्गज वकीलों ने भी केंद्रीय मंत्री के दायित्व से हटते ही वकालत का पेशा अपना लिया था। Live Mint की एक रिपोर्ट के मुताबिक कपिल सिब्बल मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई की फीस प्रतिदिन 11 से 15 लाख रुपये लेते हैं।
इसके अलावा आमतौर पर सोमवार और शुक्रवार को केस की पैरवी की फीस कम होती है। इन दिनों में सुप्रीम कोर्ट ने नए मामलों की सुनवाई करता है और यह तय करता है कि उनकी नियमित सुनवाई वह करेगा या फिर नहीं। हालांकि कई बार कपिल सिब्बल समेत तमाम वकीलों के रेट में अंतर भी होता है। इसकी वजह केस की गंभीरता और क्लाइंट के साथ संबंध भी होते हैं। जैसे बेहद गंभीर मामला होने के बाद भी यदि क्लाइंट उनका करीबी है या राजनीतिक संबंध हैं तो कई बार वकील से उनसे कम चार्ज ही लेते हैं।
हाल ही में हुए राजस्थान सरकार विवाद के दौरान सिब्बल कोर्ट रूम में पूरी तरह से मुस्तैद दिखे, और शानदार तरीके से सरकार का पक्ष रखा। हालांकि यह कोई पहला प्रकरण नहीं है, जब सिब्बल ने अपनी पार्टी के लिए कोर्ट में पक्ष रखा हो। इससे पूर्व राजस्थान में बसपा विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने की याचिका पर भी सिब्बल ने कांग्रेस दल का प्रतिनिधित्व किया था।