भारतीय शेयर बाजार ने सोमवार (13- जून-2022) निवेशकों को करारा झटका दिया। बाजार से सभी मुख्य सूचकांकों में 3 फीसदी तक की बड़ी गिरावट हुई, जिसके कारण निवेशकों को 7 लाख करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ। दूसरी तरफ पिछले कुछ महीनों से लगातार निचले स्तर पर चल रहा रुपया ने आज बाजार खुलते ही नए निचले स्तर 78.29 को छू लिया। आइए जानते हैं कि आखिर शेयर बाजार और रुपए में क्यों लगातार कमजोर होते जा रहे हैं?

महंगाई: भारत के साथ- साथ दुनिया भर में बढ़ रही महंगाई एक चिंता का विषय है। अमेरिका में महंगाई अपने 40 साल के सबसे उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। बढ़ती महंगाई को काबू करने के लिए भारत की तरह अमेरिका का केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में बढ़ोतरी करने का ऐलान कर चुका है, जिसके कारण लिक्विडिटी कम होने के डर से बाजार में गिरावट देखने को मिल रही है। बता दें, पिछले दो महीने में महंगाई के चलते  रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने भी ब्याज दरों में 0.9 फीसदी का इजाफा किया था।

कमजोर ग्लोबल संकेत: शेयर बाजार में गिरावट की बड़ी वजह अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों से लगातार कमजोरी के संकेत मिलना है। शुक्रवार को अमेरिकी शेयर बाजार के सभी मुख्य सूचकांकों में 2.73 फीसदी तक की गिरावट हुई थी, जिसके बाद से दुनियाभर के बाजारों में बड़ी गिरावट देखने को मिली हैं।

ईंधन की कीमतों में तेजी: दुनियाभर में रूस- यूक्रेन युद्ध के बाद कच्चे तेल के साथ गैस की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। पिछले चार महीनों में तेल की कीमत 40 फीसदी तक बढ़ गई है जबकि गैस की कीमत दोगुनी से भी अधिक हो गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि ईंधन की अधिक कीमत के कारण भारत जैसे तेल आयतक देशों को कच्चे तेल पर पहले से अधिक खर्च करना पड़ेगा। इस कारण विकास योजनाओं पर खर्च में कमी आ सकती है और जीडीपी ग्रोथ रेट भी कम हो सकता है।

विकासशील देशों से पैसा निकल रहे निवेशक: तेल की कीमत में इजाफा होने के कारण और जीडीपी ग्रोथ रेट कमी की आशंका के चलते बड़े निवेशक भारत जैसे विकासशील देशों के शेयर बाज़ारों में लगातार बिकवाली कर रहे हैं। जून में ही विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) ने 14 हजार करोड़ रुपए की बिकवाली की है। इस कारण भारत में डॉलर की मांग के कारण रुपए पर भी दबाब देखने को मिल रहा है।

सीपीआई डाटा: सरकार सोमवार (13 जून 2022) को मई महीने के महंगाई का आकंड़ा जारी करने वाली है। रॉयटर्स के एक सर्वेक्षण के अनुसार, विशेषज्ञों को उम्मीद है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मई में 7.10 फीसदी तक रह सकता है, जो अप्रैल में 7.7 फीसदी था।

बता दें, एनएसई का मुख्य निफ्टी50 दिन के करोबार के दौरान 15,683 के न्यूनतम स्तर पर पर पहुंच गया था जो इस साल के न्यूनतम स्तर 15,665 के काफी करीब है।