मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की बेसलाइन क्रेडिट असेसमेंट (BCA) को को डाउनग्रेड करते हुए Ba1 से Ba2 कर दिया है। रेटिंग एजेंसी ने आर्थिक मंदी के कारण देश के सबसे बड़े ऋणदाता की परिसंपत्तियों की गुणवत्ता में सुधार और मुनाफे में अपेक्षित देरी को डाउनग्रेड के लिए जिम्मेदार ठहराया। मूडीज ने कहा कि यह संभावना नहीं है कि अगले 12-18 महीनों में रेटिंग अपग्रेड कर दी जाएगी, लेकिन भारत की रेटिंग आउटलुक बदलकर स्थिर हो जाए तो इसकी रेटिंग आउटलुक स्थिर हो सकती है। भारत की संप्रभु रेटिंग डाउनग्रेड होने पर मूडीज एसबीआई की रेटिंग को नीचे कर सकता है।
मूडीज की ओर से बैंक की रेटिंग डाउनग्रेड करना इस बात का संकेत है कि आने वाले दिनों में बैंक की एसेट क्वॉलिटी और प्रॉफिटेबिलिटी में सुधार देखने को नहीं मिलेगा। एजेंसी ने बताया कि जून तिमाही में एसबीआई की संपत्ति की गुणवत्ता में सुधार हुआ था। बीते साल जून तिमाही में बैंक का एनपीए 7.5% था, जबकि इस साल यह 5.4% ही रहा है। हालांकि अनुपात में इस कमी की वजह लोन पर जारी लागू किया मोरोटोरियम भी है, जिसे लॉकडाउन से प्रभावित लोगों को राहत देने के लिए दिया गया है। ऐसे में साफ है कि मोराटोरियम खत्म होने के बाद भारतीय स्टेट बैंक के एनपीए में एक बार फिर से इजाफा देखने को मिल सकता है।
रेटिंग एजेंसी मूडीज ने कहा, ‘कोरोनावायरस महामारी से आर्थिक झटका भारत की आर्थिक वृद्धि में पहले से ही मंदी की स्थिति को बढ़ा देगा, उधारकर्ताओं के क्रेडिट प्रोफाइल को कमजोर करेगा और भारतीय बैंकों की संपत्ति की गुणवत्ता को नुकसान पहुंचाएगा।’ रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण परिवारों के बीच लंबे समय तक वित्तीय तनाव, कमजोर रोजगार सृजन और गैर-बैंक वित्तीय कंपनियों के बीच ऋण की कमी के कारण गैर-निष्पादित ऋण में वृद्धि होगी, जिससे पिछले दो वर्षों में बैंक की बैलेंस शीट की निरंतर सफाई में देरी होगी।