Nirmala Sitharaman to SBI: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन रजनीश कुमार समेत तमाम अधिकारियों को फटकार वाले ऑडियो के लीक होने के मामले में बैंक एफआईआर करने की तैयारी में है। बैंक का कहना है कि वह ऐसे अराजक तत्वों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराएगा, जिन्होंने अनाधिकारिक तौर पर बातचीत को रिकॉर्ड किया और सोशल मीडिया पर ऑडियो क्लिप को वायरल किया। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक इस बीच वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने मंत्री के गुस्से को सही ठहराया है। उन्होंने कहा कि बैंक के राज्य स्तरीय अधिकारियों के कामकाज पर वित्त मंत्री का गुस्सा पूरी तरह से जायज था।
गुवाहाटी में जिस बैठक में वित्त मंत्री ने बैंकर्स पर गुस्सा उतारा था, उसमें मौजूद एक अधिकारी ने कहा कि उन्होंने स्थानीय बैंक अधिकारियों और राज्य स्तरीय बैंकर्स कमिटी की असंवेदनशीलता पर सवाल उठाया था। उन्होंने कहा कि बैंक अधिकारियों के चलते ही करीब 2.5 लाख चाय बागान कर्मी अपने जन-धन खातों से ट्रांजेक्शन नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि वे निष्क्रिय हैं। अधिकारी ने कहा कि गरीब चाय बागान कर्मी अपने खाते में आए सब्सिडी के पैसे नहीं निकाल पा रहे हैं। बिना किसी गलती के भी उन्हें खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। यहां तक कि स्थानीय और राज्य प्रशासन की अपील के बाद भी बैंक अधिकारियों ने मसले का हल नहीं किया है।
यह मामला शुक्रवार को उस वक्त सामने आया, जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का फटकार वाला ऑडियो वायरल हुआ। इस पर बैंक अधिकारियों की एसोसिएशन ने वित्त मंत्री के बयान की निंदा करते हुए बयान जारी किया। बता दें कि वित्त मंत्री ने गुवाहाटी में पिछले महीने एक कार्यक्रम में फटकार लगाते हुए बैंक को ‘हृदयहीन’ और ‘अक्षम’ बताया है। सीतारमण ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि असम में चाय बागान कामगारों के कुछ 2.5 लाख बैंक खाते निष्क्रिय थे।
असम के मंत्री बोले, बैंक अधिकारियों ने गलत समझा: इस बीच असम के वित्त मंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने ट्विटर पर बैंकर्स एसोसिएशन से कहा कि आप लोगों ने पूरे मामले को सही परिप्रेक्ष्य में नहीं समझा। दरअसल मीटिंग के दौरान सरमा ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से कहा था कि असम सरकार की ओर से 8 लाख जनधन खाते खोले गए थे और उनमें 5,000 रुपये की राशि ट्रांसफर की गई थी। हालांकि ये खाते बंद हैं और कई बार गुजारिश के बाद भी कोई प्रोग्रेस नहीं हुई है। इस पर निर्मला सीतारमण ने बैंक अधिकारियों से कहा था कि ऐसी चीजों को स्वीकार नहीं किया जाएगा।