देश में डिजिटल लेनदेन का चलन तेजी से बढ़ रहा है।  डिजिटल लेनदेन में कोई भी व्यक्ति कही भी आसानी से मोबाइल, लैपटॉप या फिर कंप्यूटर के जरिये दुनिया में कहीं भी पैसे भेज सकता है। इसकी इसी सुगमता से इसे भारत में बेहद कम समय मेंहद लोकप्रिय बना दिया है। इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अनुसार देश में इस वित्त वर्ष में 28 फरवरी तक रिकॉर्ड 7422 करोड़ लेनदेन हुए हैं। जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में करीब 33 फीसदी अधिक है। 

डिजिटल भुगतान का बढ़ रहा चलन: कोरोना के दौर में डिजिटल लेनेदेन से लोगों को काफी सहूलियत दी, लोग बिना आपस में संपर्क करें बिना आसानी से एक दूसरे को भुगतान कर सकते हैं। बीते दो साल की बात करें तो इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का आकंडा भी यही दर्शाता है। वित्त वर्ष 2019-20 में देश में 3,134 करोड़ डिजिटल लेनदेन हुए थें जिनकी संख्या वित्त वर्ष 2020-21 में बढ़कर 5,554 करोड़ हो गई।  

डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने में सबसे ज्यादा योगदान भारत सरकार द्वारा 2016 में लांच किये गए भारत इंटरफेस फॉर मनी-यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (भीम-यूपीआई) ने दिया है जिसमें साल दर साल 100 फीसदी से अधिक का इजाफा देखने को मिल रहा है। इस वित्त वर्ष 28 फरवरी तक भीम-यूपीआई से 452.75 करोड़ रुपए के डिजिटल लेनदेन हुए हैं जिनका मूल्य 8.27 लाख करोड़ रुपए है।

फीचर फोन में भी यूपीआई: इसी महीने 8 मार्च को आरबीआई ने ‘यूपीआई123पे’ (UPI123PAY) सर्विस को लॉन्च किया था। इस सर्विस की मदद से अब तक केवल स्मार्टफोन में कार्य करने वाला यूपीआई अब छोटे फीचर फोन में भी कार्य करेगा। ‘यूपीआई123पे’ के जरिये कोई भी फीचर फोन यूजर आसानी से मोबाइल फोन का रिचार्ज, फास्टैग का रिचार्ज, एलपीजी और बिजली बिल सिलेंडर का भुगतान आदि आसानी से घर बैठे कर सकता है।

‘यूपीआई123पे’ को लॉन्च करते हुए आरबीआई के गवर्नर शशिकांत दास ने कहा था कि देश में करीब 40 करोड़ फीचर फोन यूजर्स हैं और फीचर फोन के लिए यूपीआई सेवा शरू होने से गांवों में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा मिलेंगा। इससे फाइनेंशियल सेवाओं की पहुंच बढ़ेगी। गांवों में कई लोगों के पास स्मार्टफोन नहीं होते हैं इसके अलावा वहां इंटरनेट की उपलब्धता की भी गारंटी नहीं होती है।