Russian Oil imports: जब रूस ने फरवरी 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण किया, तो भारत के तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी 2% से भी कम थी। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के वजह से रूस ने अपने तेल पर भारी छूट देना शुरू किया, जिसका फायदा भारत ने उठाया। मौजूदा समय की बात करें तो मात्रा के हिसाब से भारत के तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी एक तिहाई से भी अधिक है। हाल के वर्षो में रूस से क्रूड ऑयल (Crude Oil) का आयात करके भारत ने 12 अरब डॉलर से भी अधिक की बचत की है।

भारत को कितनी हुई बचत?

हमारी सहयोगी द इंडियन एक्सप्रेस के भारत के आधिकारिक व्यापार आंकड़ों के विश्लेषण के मुताबिक, पिछले 39 महीनों में भारत ने रूसी तेल आयात से 12.6 अरब डॉलर (1111 अरब रुपये) की बचत की है।

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2022-23

भारत का कुल तेल आयात बिल 2022-23 में 162.21 अरब डॉलर था। अगर रूस से छूट न मिलती तो यह रकम 167.08 अरब डॉलर होती यानी करीब 4.87 अरब डॉलर अधिक की बचत हुई। रूस से तेल की औसत कीमत 83.24 डॉलर/बैरल थी। जो अन्य देशों के मुकाबले 13 डॉलर कम थी यानी लगभग 13.6 फीसदी की छूट मिली।

क्रूड ऑयल की कीमत ग्रेड पर निर्भर करती है और उनकी कीमतें काफी भिन्न हो सकती हैं, फिर भी गणना के लिए कच्चे तेल की औसत पहुंच कीमत और आपूर्तिकर्ता देशों से आयात मात्रा का उपयोग किया गया क्योंकि सरकार ग्रेड-वार आंकड़े जारी नहीं करती है।

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2023-24

2023-24 में रूस से अधिक तेल आयात (रूस से तेल आयात की मात्रा 2022-23 के 373 मिलियन बैरल से बढ़कर लगभग 609 मिलियन बैरल हो गई) हुआ। लेकिन छूट थोड़ी कम (10.4%) मिली। बचत की बात करें तो यहां 5.41 अरब डॉलर रही। 2023-24 में रूसी क्रूड ऑयल की कीमत की कीमत 76.39 डॉलर प्रति बैरल थी, जो बाकी से 8.89 डॉलर कम थी।

2024-25

अगर हम 2024-25 की बात करें तो यह छूट और बचत सिर्फ 2.8% रही, जिससे केवल 1.45 अरब डॉलर की बचत हुई, 2024-25 में रूसी क्रूड ऑयल की कीमत की कीमत 78.5 डॉलर प्रति बैरल थी, जो बाकी से 2.3 डॉलर कम थी।

2025-26 की जून तिमाही में

जिस अवधि तक देश-वार और वस्तु-विशिष्ट व्यापार आंकड़े उपलब्ध हैं – छूट बढ़कर 6.2% हो गई, जिसमें एक रूसी बैरल की औसत कीमत 69.74 डॉलर रही, जबकि अन्य आपूर्तिकर्ताओं से यह 74.37 डॉलर रही, जिससे 0.84 अरब डॉलर की बचत हुई।

वित्त वर्ष / अवधिऔसत छूट (%)बचत (अरब डॉलर)
2022-2313.60%4.87
2023-2410.40%5.41
2024-252.80%1.45
2025-26 (अप्रैल–जून)6.20%0.84

कुल बचत – 4.87+5.41+1.45+0.84 = 12.57 अरब डॉलर (1111 अरब रुपये) हो गई।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत स्थिर रखने में बना मददगार

ध्यान रखने की बात है कि अगर भारत ने रूस से कच्चा तेल न खरीदा होता तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमतों में उछाल आ सकती थी। अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत बढ़ जाती तो भारत को उतना ही कच्चा तेल आयात करने के लिए वर्तमान से काफी ज्यादा रुपये खर्च करने पड़ते। यानी भारत ने आयात बजट में बचत करने के साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों को स्थिर रखने में भी मदद की।