श्रीलंका में अडानी ग्रुप को विंड फार्म कॉन्ट्रैक्ट दिए चल रहे विवादों के बीच आरएसएस के वरिष्ठ नेता राम माधव राजधानी कोलोंबो पहुंच गए हैं। मौजूदा समय में माधव सरकार में किसी भी अधिकारिक पद पर नहीं है, लेकिन उन्होंने वहां जाकर श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे से मुलाकात की, जिसने लोगों में मन में उत्सुकता को जगा दिया है कि आखिर वह श्रीलंका क्यों गए?

जानकारी के अनुसार, माधव ने वहां  जाकर चर्चा कि कैसे श्रीलंका अधिक भारतीय निवेश और सहायता प्राप्त कर सकता है। हालांकि अभी तक यह नहीं स्पष्ट हो पाया है कि माधव वहां किसकी तरफ से गए थे। राजनीतिक और आर्थिक उथल- पुथल के बीच बड़े राजनेता को भेजकर भारत ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि इन विषम परिस्थितियों में भी वह श्रीलंका की मदद जारी रखेगा।

श्रीलंका में अडानी विवाद

श्रीलंकाई संसद में विद्युत संशोधन विधेयक (Electricity Amendment Bill) पर चर्चा के दौरान विपक्ष और कुछ ट्रेड यूनियनों की ओर से अडानी ग्रुप का विरोध देखने को मिला था। इस दौरान विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाया था कि सरकार से सरकार स्तर पर अडानी ग्रुप की भागीदारी के देश के उत्तरी तट पर बन रहे 500 मेगावाट के विंड फार्म को बनाने के लिए संसोधन किया जा रहा है। हालांकि विरोध के बीच यह बिल पास करा लिया गया था और सरकार ने तर्क दिया था कि इससे देश में रिन्यूएबल एनर्जी की योजनाओं को तेजी से पूरा करने में मदद मिलेगी।

इससे बाद श्रीलंका के सरकारी बिजली आपूर्तिकर्ता सीलोन बिजली बोर्ड के प्रमुख एमसीसी फर्डिनेंडो सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट अडानी को भारत सरकार के कहने पर दिया है। उन्होंने एक संसदीय पैनल के सामने गवाही दी थी कि उन्हें राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने बताया था कि पीएम मोदी ने अडानी ग्रुप को 500 मेगावाट की विंड एनर्जी प्रोजेक्ट देने पर जोर दिया था, जिसके बाद विवाद ने और अधिक जोर पकड़ लिया। हालांकि बाद में उन्होंने यह कहते हुए उन्होंने अपना बयान वापस ले लिया कि मीटिंग में वह भावुक हो गए थे, जिस कारण उन्होंने झूठ बोल दिया। मोदी को लेकर उन्होंने जो कहा है वह उसे वापस ले रहे हैं।

देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने इसे लेकर सरकार पर सवाल उठाएं। कांग्रेस नेता रागिनी नायक ने कहा है कि देश में विपक्ष के नेताओं को ईडी से तुरंत समन मिल जाता है, लेकिन श्रीलंका सरकार के व्यक्ति की ओर से यह दावा किया जाता है कि एक कॉन्ट्रैक्ट पीएम के कहने पर अडानी ग्रुप को दे दिया जाता है और इसकी ईडी कोई भी जांच नहीं करती है उनकी संपत्ति लाखों- करोड़ों पहुंच जाती है, इस पर कोई ईडी की ओर से उन्होंने समन नहीं भेजा जाता है।