राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने रविवार (7 अगस्त) को कहा कि सरकार को अगले साल एक अप्रैल से जीएसटी व्यवस्था लागू कर लेने का पूरा भरोसा है लेकिन अगर कर की दर तथा वस्तु एवं सेवाओं की छूट के बारे में निर्णय में देरी होती है तो समयसीमा का पालन मुश्किल हो सकता है। अधिया ने विशेष बातचीत में कहा कि जीएसटी परिषद केंद्रीय तथा राज्य करों के बारे में फैसला करेगी जो राष्ट्रीय बिक्री कर में शामिल होंगे। साथ ही उपकरों पर भी विचार करेगी। जीएसटी परिषद केंद्र तथा राज्यों को विभिन्न उपकरों तथा केंद्र, राज्य एवं स्थानीय निकायों द्वारा लगाए जाने वाले अधिभार के बारे में सिफारिशें देगी। ये सभी वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में समाहित किए जा सकते हैं।
अधिया ने कहा, ‘कौन-कौन से उपकर समाहित होंगे यह जीएसटी परिषद के निर्णय पर निर्भर करेगी। अगर सभी उपकरों को जीएसटी में समाहित कर दिया जाता है तो केंद्र सरकार के लिए राजस्व की जरूरतों का आकलन बढ़ जाएगा क्योंकि उपकर से प्राप्त होने वाला राजस्व जीएसटी में शामिल हो जाएगा और जीएसटी का 42 प्रतिशत हिस्सा राज्यों को जाएगा।’
जीएसटी के अंतर्गत समाहित होने वाले कर के बारे में परिषद निर्णय करेगी। उन्होंने कहा कि जिन करों की अलग पहचान नहीं होगी, उसमें उत्पाद शुल्क, वैट, सेवा कर, अतिरिक्त उत्पाद शुल्क, सीवीडी, विशेष अतिरिक्त सीमा शुल्क, मनोरंजन कर, लक्जरी कर, चुंगी, प्रवेश कर, खरीद कर, लॉटरी पर कर, सट्टा और जुआ आदि समेत अन्य शामिल हैं। राजस्व सचिव ने कहा, ‘फिलहाल हम एक अप्रैल 2017 से जीएसटी लागू करने को लेकर आशान्वित हैं। हमने पहले ही 60,000 अधिकारियों के प्रशिक्षण की योजना बनाई है जो शुरू हो चुका है। पांच हजार अधिकारियों को पहले ही प्रशिक्षित किया जा चुका है। आईटी ढांचा परीक्षण के लिए जनवरी 2017 तक तैयार हो जाएगा।’