भारतीय रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड ने 57,128 करोड़ रुपये का लाभांश केंद्र सरकार को ट्रांसफर किए जाने को मंजूरी दे दी है। गवर्नर शक्तिकांत दास की लीडरशिप में हुई इस मीटिंग में मौजूदा वित्त वर्ष में यह लाभांश दिए जाने का फैसला लिया है। आऱबीआई की ओर से जारी बयान में कहा गया, ‘बोर्ड ने 57,128 करोड़ रुपये के सरप्लस को केंद्र सरकार को ट्रांसफर करने का फैसला लिया है। यह रकम वित्त वर्ष 2019-20 के लिए होगी।’ आरबीआई ने कहा कि बोर्ड की मीटिंग में मौजूदा वित्तीय हालात और लगातार घरेलू और वैश्विक स्तर पर पैदा हो रही चुनौतियों को लेकर चर्चा की गई।

बता दें कि बीते साल अगस्त में गवर्नर शक्तिकांत दास की लीडरशिप में हुई आरबीआई बोर्ड की मीटिंग में केंद्र सरकार 1,76,051 करोड़ रुपये की रकम ट्रांसफर करने का फैसला लिया गया था। इसमें से 1,23,414 करो़ड़ रुपये 2018-19 के लाभांश के तौर पर दिए जाने थे। इसके अलावा 52,637 करोड़ रुपये इकनॉमिक कैपिटल फ्रेमवर्क के तौर पर दिए गए।

मौजूदा वित्त वर्ष में केंद्र सरकार ने 90,000 करोड़ रुपये लाभांश के तौर पर हासिल करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन आरबीआई से उसे करीब 95,000 करोड़ रुपये की रकम मिली है। आरबीआई बोर्ड की मीटिंग में गवर्नर के अलावा डेप्युटी गवर्नर बीपी कानूनगो, महेश कुमार जैन और माइकल देबब्रत पात्रा मौजूद थे। इसके अलावा सेंट्रल बोर्ड में डायरेक्टर के तौर पर शामिल एन. चंद्रशेखरन, अशोक गुलाटी, मनीष सब्बरवाल, दीलीप सांघवी, एस. गुरुमूर्ति और सचिन चतुर्वेदी आदि शामिल थे।

जानें, क्या होता है आरबीआई का लाभांश: आरबीआई को मुख्य तौर पर मुद्रा कारोबार और सरकारी बॉन्ड्स के जरिए ही कमाई होती है। इस कमाई में से ही आरबीआई एक हिस्सा ऑपरेशन कामों के लिए रखता है, जबकि एक हिस्सा वह आपातकालीन फंड के तौर पर रखता है। इसके बाद बची हुई राशि सरकार को लाभांश के तौर पर दे देता है। यही नहीं कई बार सरकारें जरूरत पड़ने पर आरबीआई से अंतरिम लाभांश के तौर पर भी रकम ले लेती हैं। फाइनेंशियल ईयर 2019 में भारत सरकार ने आरबीआई से 28,000 करोड़ रुपये की रकम अंतरिम लाभांश के तौर पर ली थी। इसके अलावा 10,000 करोड़ रुपये की पूंजी वित्त वर्ष 2018 में अंतरिम लाभांश के तौर पर ली थी।