भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गुरुवार (चार अप्रैल, 2019) को रेपो रेट घटा दी। यह फैसला मुद्रास्फीति में आई नरमी को देखते हुए लिया गया। आरबीआई ने दूसरी बार नीतिगत ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की है। ऐसे में रेपो रेट अब बीते एक साल के निचले स्तर पर आ गई है। हालांकि, आरबीआई ने मौद्रिक नीति के रुख को तटस्थ बनाए रखा है।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में मौद्रिक नीति समिति की बीते दो दिन से चल रही बैठक के बाद गुरुवार को को छह में से चार सदस्यों ने रेपो रेट में कटौती का पक्ष लिया, जबकि दो सदस्यों ने इस दर को उतना ही रखने का समर्थन किया।

मुख्य ब्याज दर 0.25 प्रतिशत घटाने के बाद छह प्रतिशत पर आ गई है, जिससे बैंकों की रिजर्व बैंक से धन लेने की लागत कम होगी। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि बैंक इस सस्ती लागत का लाभ आगे अपने ग्राहकों तक भी पहुंचाएगे। मसलन बैंकों से मकान, दुकान और वाहन के लिए कर्ज सस्ती दर पर मिल सकता है।

इससे पहले, आरबीआई ने सात फरवरी 2019 को भी रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर इसे 6.25 प्रतिशत पर पहुंचा दिया था। वहीं, हालिया दूसरी कटौती के बाद रेपो दर छह फीसदी पर आ गई। बता दें कि अप्रैल 2018 में भी यह दर छह प्रतिशत पर थी।

आरबीआई ने एक बयान में कहा कि मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत के दायरे में बरकरार रखने के मध्यावधि के लक्ष्य को हासिल करने के साथ आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये रेपो दर में कटौती की गई है।

2019-20 के लिए GDP वृद्धि का अनुमान घटकर हुआ 7.2 फीसदीः आरबीआई ने मॉनसून पर अल नीनो के संभावित असर और वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में अनिश्चितता को लेकर चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के पहले के अनुमान 7.4 प्रतिशत से घटाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया। बैंक ने फरवरी महीने में हुई मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में 2019-20 में जीडीपी वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया था। वित्त वर्ष 2019-20 की पहली छमाही के लिये उसने जीडीपी वृद्धि दर 7.2 से 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। (भाषा इनपुट्स के साथ)