बजट के बाद पहली बार जारी मौद्रिक नीति में भारतीय रिजर्व बैंक ने ब्याज की दरों में कोई बदलाव नहीं दिया है। केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट को 5.15 फीसदी पर ही बरकार रखने का फैसला करते हुए कहा कि यदि इस और कम किया जाए तो महंगाई भड़क सकती है। साफ है कि अब होम लोन आदि की मासिक किस्तों पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
रिजर्व बैंक की ओर से मॉनिटरी पॉलिसी में कोई बदलाव न करने को लेकर गवर्नर शक्तिकांत दास ने अपना रुख स्पष्ट किया है। उन्होंने कहा कि आरबीआई के पास ब्याज दरों को कम करने के अलावा और भी कई तरीके हैं, जिनसे ग्रोथ में इजाफा किया जा सकता है। आइए जानते हैं आखिर क्यों आरबीआई ने नहीं घटाईं ब्याज दरें और क्या बोले गवर्नर…
– आरबीआई ने एक तरफ महंगाई का हवाला देते हुए नीतिगत दरों में कमी नहीं की है तो दूसरी तरफ वित्त वर्ष 2021 में 6 पर्सेंट जीडीपी रहने का अनुमान जताया है।
– गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक के पास अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए ब्याज दरों में कटौती के अलावा भी कई उपाय हैं।
– 2019-20 के लिए छठी और आखिरी मौद्रिक नीति जारी करते हुए आरबीआई ने 2021 में 6 पर्सेंट ग्रोथ का अनुमान लगाने के साथ ही महंगाई को लेककर अनिश्चितता जाहिर की है।
– इससे पहले राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय ने 31 जनवरी को जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को 6.8 फीसदी से घटाकर 6.1 पर्सेंट करने का ऐलान किया था।
– आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि पिछली बार की तरह ही ब्याज दर में एक बार फिर से कोई बदलाव न करने का अर्थ यह नहीं है कि भविष्य में ऐसा नहीं होगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन कर रही है, ऐसे में आरबीआई के लिए बहुत ज्यादा डिस्काउंट न देना ही ठीक था।