कोलकाता। प्रवर्तन निदेशालय ने आज कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) पोंजी योजनाएं चला रही इकाइयों पर कार्रवाई कर सकता था क्योंकि इसके पास इससे जुड़े अधिकार थे। निदेशालय कई घोटालों की जांच कर रहा है जिनमें सारदा और रोज वैली जैसी कई कंपनियां शामिल हैं जो गैरकानूनी तौर पर धन इकट्ठा कर रही थीं।

प्रवर्तन निदेशालय के सूत्र ने बताया ‘‘आरबीआई के पास इस तरह धन इकट्ठा करने वाली कंपनियों की जांच और इन पर कार्रवाई करने का अधिकार था क्योंकि ये आरबीआई अधिनियम की धारा 58:ब: के तहत आती हैं। लेकिन रिजर्व बैंक ने इसकी पहल नहीं की।’’

उन्होंने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय ने रिजर्व बैंक और सेबी दोनों से सवाल किये थे और इस संबंध में उनकी भूमिका के बारे में पूछा था।

सूत्र ने सेबी की तारीफ करते हुए कहा कि हालांकि, उसके पास जांच का अधिकार नहीं था फिर भी उसने इन कंपनियों के खिलाफ मिली कुछ शिकायतों के आधार पर कार्रवाई शुरू की।

उन्होंने कहा ‘‘रिजर्व बैंक का कहना है कि मामले में उसकी भूमिका सिर्फ नियमकीय प्रकृति की है। हालांकि, हमने रिजर्व बैंक अधिकारियों को लंबी प्रश्नावली भेजी थी जिसका संतोषजनक जवाब अभी मिलना बाकी है जबकि जवाब देने की समयसीमा पार हो चुकी है।’’

सूत्र ने कहा कि रिजर्व बैंक के पास प्रवर्तन की ताकत भी है। उनके मुताबिक प्रवर्तन निदेशालय को जो जवाब मिले हैं उसमें बताने से ज्यादा छुपाया गया है। इसलिए रिजर्व बैंक को फिर से उचित जवाब तैयार करने के लिए कहा गया है।