Reliance Jio, Vodafone, Airtel, BSNL tarrif war: टेलीकॉम सेक्टर की स्थिति एक बार फिर पूरी तरह से बदलती दिख रही है। कुछ साल पहले सस्ते डेटा और कॉलिंग प्लान के जरिए टेलीकॉम सेक्टर में तहलका मचाने वाले रिलायंस जियो ने अब इससे पीछे हटने के संकेत दिए हैं और मिनिमम टैरिफ प्लान तय करने की बात कही है। हालांकि सरकारी दूरसंचार कंपनियों बीएसएनएल और एमटीएनएल ने टैरिफ वॉर में कूदने की बात कही है। यही नहीं रिलायंस जियो के अलावा वोडाफोन आइडिया और एयरटेल ने भी मिनिमम टैरिफ प्लान तय करने की बात कही है।
दरअसल अपने सैकड़ों कर्मचारियों को वीआरएस देने के बाद सैलरी के बोझ में कमी आने और सरकारी पूंजी हासिल होने के बाद बीएसएनएल और एमटीएनएल का फोकस अपने कस्टमर बेस को बढ़ाने पर है। हालांकि बीएसएनएल और एमटीएनएल के सुझाव का रिलायंस जियो ने विरोध किया है, जिसकी एंट्री के बाद से ही बीते करीब 4 सालों में टैरिफ वॉर तेज हुई थी। दरअसल दोनों सरकार कंपनियों की टेलीकॉम मार्केट में 15 फीसदी की ही हिस्सेदारी है। ऐसे में दोनों सस्ते डेटा और कॉलिंग प्लान्स के जरिए अपनी मौजूदगी को बढ़ाना चाहती हैं। रिलायंस जियो का कहना है कि फ्री अनलिमिटेड आउटगोइंग कॉल्स की सुविधा नहीं दी जा सकती।
जियो, वोडा और एयरटेल ने की कीमतें तय करने की मांग: एयरटेल, वोडाफोन और रिलायंस जियो ने ट्राई से मांग की है कि उसकी ओर से कॉल और डेटा सर्विसेज की न्यूनतम कीमतें तय होनी चाहिए। इसके बाद ट्राई ने सभी कंपनियों से सुझाव मांगे हैं। फिलहाल सभी कंपनियां अपने मुताबिक प्लान्स के रेट तय करने को स्वतंत्र हैं, लेकिन कड़ी प्रतिस्पर्धा के चलते स्थिति विकट हो गई है। ऐसे में इन कंपनियों ने कीमतों को तय करने के लिए ट्राई से दखल देने की गुहार लगाई थी।
मार्केट में सिर्फ 10 पर्सेंट है BSNL की हिस्सेदारी: दिसंबर 2019 तक के ट्राई के डेटा के मुताबिक टेलीकॉम मार्केट के कारोबार में बीएसएनएल की हिस्सेदारी 10.26 पर्सेंट है, जबकि एमटीएनएल की हिस्सेदारी महज 0.29 फीसदी है। बता दें कि एमटीएनएल मुंबई और दिल्ली में अपनी सेवाएं देती है, जबकि बीएसएनएल की ओर से पूरे देश में टेलीकॉम सेवाएं मुहैया कराई जाती हैं।