सस्ते कॉलिंग और डेटा प्लान के जरिए टेलीकॉम सेक्टर में तहलका मचाने वाली और कई कंपनियों का बोरिया बिस्तर तक समेटने वाली कंपनी रिलायंस जियो पर भी काफी कर्ज है। इसके चलते जियो ने अपने कुछ कर्ज को पैरंट कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड को ट्रांसफर कर दिया है। रिलायंस जियो देश के सबसे अमीर शख्स मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड समूह का ही हिस्सा है।

नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल की अहमदाबाद बेंच की ओर से बुधवार को रिलायंस जियो के कर्ज को रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड को ट्रांसफर करने को मंजूरी दी गई। इसके बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को इस फैसले के बारे में जानकारी दी।

रिलायंस इंडस्ट्रीज ने बीएसई को दी गई जानकारी में कहा, ‘हम यह बताना चाहते हैं कि रिलायंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड पूरी तरह से रिलायंस इंजस्ट्रीज लिमिटेड की सहायक कंपनी है। 18 मार्च, 2020 को कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल की अहमदाबाद बेंच की ओर से दिए गए फैसले में कंपनी के कर्ज की नई व्यवस्था को मंजूरी दी गई है।

हालांकि कंपनी ने यह नहीं बताया कि रिलायंस जियो पर कुल कितना कर्ज है और यह कहां-कहां से लिया गया है। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने कहा कि कर्ज के इस ट्रांसफर से अकाउंट में किसी तरह का कोई फर्क नहीं आएगा। गौरतलब है कि एक समय में टेलीकॉम सेक्टर में सस्ते टैरिफ प्लान्स के जरिए तहलका मचाने वाली कंपनी रिलायंस जियो ने ट्राई से अब न्यूनतम दरें तय करने की मांग की है।

यह रवैया उसके पुराने तौर-तरीकों से काफी अलग है। इस बीच सरकारी कंपनी बीएसएनएल और एमटीएनएल ने टैरिफ वॉर में कूदने की बात कही है। यही नहीं रिलायंस जियो के अलावा वोडाफोन आइडिया और एयरटेल ने भी मिनिमम टैरिफ प्लान तय करने की बात कही है। एयरटेल, वोडाफोन और रिलायंस जियो ने ट्राई से मांग की है कि उसकी ओर से कॉल और डेटा सर्विसेज की न्यूनतम कीमतें तय होनी चाहिए। इसके बाद ट्राई ने सभी कंपनियों से सुझाव मांगे हैं।