अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कॉम्युनिकेशंस को लेकर सुप्रीम कोर्ट के तेवर लगातार सख्त बने हुए हैं। एजीआर बकाये को लेकर सवाल उठाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अब पूछा है कि आखिर दो सालों में उसकी संपत्ति कहां गायब हो गई है? सुप्रीम कोर्ट ने आरकॉम के रिजॉलूशन प्रोफेशनल से पूछा है कि आखिर जिस कंपनी की संपत्ति दो साल पहले 37,000 करोड़ रुपये थी, वह अब 10,000 करोड़ रुपये ही कैसे रह गई। जस्टिस अरुण मिश्रा, एस. अब्दुल नजीर और एम.आर. शाह की बेंच ने आरकॉम की संपत्ति में तेजी से गिरावट को लेकर हैरानी जताई।

दरअसल आरकॉम के रिजॉलूशन प्रोफेशन की ओर से पेश वकील श्याम दीवान ने कहा था कि कंपनी की कुल लिक्विडेशन वैल्यू 10,000 करोड़ रुपये के करीब है। इस पर कोर्ट ने कहा कि आखिर दो ही साल में इतनी बड़ी गिरावट क्यों आई है। जजों की बेंच ने कहा कि ऐरिक्सन से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान 2018 में कोर्ट में यह बात कही गई थी कि कंपनी की नेट वर्थ 37,000 करोड़ रुपये थी, लेकिन अब 10,000 करोड़ रुपये ही कैसे रह गई।

कोर्ट ने हैरानी जताते हुए कहा कि आखिर दो ही साल में इतना बड़ा अंतर कैसे आ गया है। कंपनी की एसेट्स कहां लुप्त हो गईं? इस पर आरकॉम की ओर से पेश वकील ने कहा कि रिजॉलूशन प्लान के मुताबिक स्पेक्ट्रम को मिलाकर कंपनी की कुल नेटवर्थ 6,900 से 7,500 करोड़ रुपये के बीच है। हालांकि कोर्ट की टिप्पणियों के बाद उन्होंने कहा कि हम एक बार फिर से कैलकुलेशन करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और टेलिकॉम कंपनियों की ओर से दायर याचिका की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। इस याचिका में कहा गया है कि आखिर दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रहीं कंपनियां कैसे सरकार के एजीआर बकाये का भुगतान करेंगी।

बता दें कि इसी मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से सोमवार को यह सवाल किया था कि क्या रिलायंस जियो को आरकॉम के बकाये का भुगतान करना चाहिए? दरअसल रिलायंस जियो और आरकॉम के बीच स्पेक्ट्रम शेयरिंग की डील 2016 में हुई थी, जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने यह सवाल उठाया है।