मुंबई। रिजर्व बैंक छोटे और भुगतान बैंकों की स्थापना के लिए मानदंड तय करने के बाद इस महीने के आखिर तक आवेदन आमंत्रित करेगा। ये बैंक छोटे कारोबारियों और निम्न आयवर्ग के परिवारों की जरूरतें पूरी करेंगे।
रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने आज इसकी जानकारी देते हुये कहा कि इसके साथ ही केन्द्रीय बैंक अपनी नकदी प्रबंधन प्रणाली को भी बेहतर बनाने की योजना बना रहा है।
राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के समारोह में सूक्ष्म वित्तीय इकाइयों को संबोधित करते हुए राजन ने यह भी कहा कि अपनी जरूरतों के लिये छोटा मोटा रिण लेने वालों की मनमानी ब्याज उच्च्ंची दरों से सुरक्षा की जानी चाहिए।
रिजर्व बैंक गवर्नर ने विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा बार-बार कर्जमाफी योजनायें लाये जाने पर अपने एतराज को दोहराया। उन्होंने कहा कि इससे कर्ज के उचित मूल्य निर्धारण पर असर पड़ता है और परिणामस्वरूप रिण बाजार में गड़बड़ी पैदा होती है।
राजन ने कहा ‘‘ग्राहकों की सुरक्षा के लिए सूक्ष्म वित्त रिणदाताओं द्वारा दिए जाने वाले रिण पर ब्याज दरों की उचित अधिकतम सीमा तय की जानी चाहिए।’’
तत्कालीन अविभाजित आंध्रप्रदेश में अक्तूबर 2010 मेंं उपजे संकट के कारण सूक्ष्म वित्त क्षेत्र की स्थिति काफी बिगड़ गई थी। इसके बाद आरबीआई द्वारा गठित मालेगाम समिति ने इस क्षेत्र के लिए 26 प्रतिशत ब्याज दर सीमा तय करने का सुझाव दिया था। केंद्रीय बैंक ने अप्रैल 2012 में इस सीमा को अधिसूचित किया था।
आंध्र प्रदेश सरकार ने उस समय कर्ज लेने वालों द्वारा आत्महत्या की घटनायें होने के बाद सूक्ष्म वित्त संस्थाओं द्वारा बलपूर्वक रिण वसूली पर प्रतिबंध लगा दिया था।
विभाजन के बाद आंध्र प्रदेश और तेलंगाना दोनों ही राज्य सरकारों ने पिछले साल आये चक्रवात फेलिन से प्रभावित किसानों का कर्ज माफ किये जाने की घोषणा की।
तेलंगाना सरकार ने बट्टे-खाते में डाले गए रिण की तय 25 प्रतिशत राशि बैंकों को दे दी है जबकि आंध्र प्रदेश सरकार ने अब तक ऐसा नहीं किया।
इन दो राज्यों के कृषि क्षेत्र में बैंकों का 1,300 अरब रुपए दांव पर लगा है।