केंद्रीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स को प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए) फ्रेमवर्क से बाहर कर दिया है। गुरुवार (31 जनवरी, 2019) को आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के इस कदम से इन तीनों बैंकों पर ऋण देने को लेकर लगा आंशिक प्रतिबंध भी हट गया। बता दें कि तत्कालीन गवर्नर उर्जित पटेल के कार्यकाल में मोदी सरकार ने उनसे पीसीए फ्रेमवर्क में शामिल 11 सरकारी बैंकों को ढील देने के लिए कहा था। तर्क दिया था कि इससे बाजार की गतिविधियां प्रभावित हो सकती हैं, पर पटेल ने उस दिशा में कोई कदम ही नहीं उठाया था, जबकि दास के हालिया कदम को सरकार की मांग पर आंशिक अमल के रूप में देखा जा रहा है।
आरबीआई ने ताजा बयान में कहा, “विभिन्न परिस्थितियों और लगातार निगरानी के बाद बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ महाराष्ट्र को पीसीए फ्रेमवर्क से बाहर निकालने का फैसला लिया गया है। ये दोनों बैंक नियामक संबंधी मानकों को पूरा करते हैं, जिसमें कैपिटल कंजर्वेशन बफर (सीसीबी) भी शामिल है। तीसरी तिमाही के मुताबिक, इन बैंकों के कुल नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) छह फीसदी से कम हैं।”
आगे इसमें बताया गया कि ओबीसी के मामले में नेट एनपीए छह प्रतिशत से रहा। ऐसे में पीसीए फ्रेमवर्क के तहत ओबीसी पर लगे प्रतिबंध हटाने का फैसला लिया गया है। ऐसा विभिन्न हालात और बारीकी से निगरानी रखने के बाद किया गया है।
वित्तीय सेवाओं के सचिव राजीव कुमार ने आरबीआई के इस फैसले पर कहा, “बैंकिंग सुधारों के लिए सरकार ने ‘चार आर’ की रणनीति अपनाई है। अच्छा प्रदर्शन करने वाले तीन सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों को पीसीए से बाहर निकाला जा रहा है। ऐसे में बैंकों को और जिम्मेदार बनना होगा। उनके इसके अलावा संकट से निपटने के लिए उच्च मानक और बंदोबस्त करने होंगे।”
(पीटीआई इनपुट्स के साथ)