रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल मंगलवार (27 नवंबर) को तीसरी बार संसद की समिति के सामने पेश हुए। इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है। सूत्रों के मुताबिक उन्होंने नोटबंदी तथा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में फंसे कर्ज (एनपीए) की स्थिति समेत अन्य मामलों के बारे में जानकारी दी। पटेल को 12 नवंबर को समिति के सामने उपस्थित होना था। सूत्रों ने कहा कि वित्त पर संसद की स्थायी समिति के एजेंडे में नवंबर 2016 में पुराने 500 और 1000 रुपये के नोट बंद करने, आरबीआई में सुधार, बैंकों में दबाव वाली परिसंपत्तियों तथा अर्थव्यवस्था की स्थिति सूचीबद्ध है।

आरबीआई गवर्नर समिति के सामने ऐसे समय पेश हुए जब केंद्रीय बैंक तथा वित्त मंत्रालय के बीच कुछ मुद्दों को लेकर गहरा मतभेद है। इन मुद्दों में आरबीआई के पास पड़े आरक्षित कोष का उचित आकार क्या हो तथा लघु एवं मझोले उद्यमों के लिये कर्ज के नियमों में ढील के मामले शामिल हैं। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री एम वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली 31 सदस्यीय समिति के सदस्य हैं। पिछले महीने आरबीआई ने आंकड़ें जारी किए थे कि अप्रैल 2014 और अप्रैल 2018 के बीच देश के 21 राज्य-स्वामित्व वाले बैंकों ने 3,16,500 करोड़ रुपये का कर्ज समाप्त कर दिया था जबकि इसे समाप्त करने में 44, 900 करोड़ रुपये वसूल किए गए थे।

हालांकि, बैठक का केंद्र बिंदु नोटबंदी के नुकसान पर था। आरबीआई की 2017-18 की वार्षिक रिपोर्ट की बैठक के लगभग तीन महीने बाद कहा गया कि 500 ​​रुपये और 1000 रुपए के 99.3 फीसदी नोट सिस्टम में वापस आ गए हैं, जिन्हें 8 नवंबर, 2016 को बंद कर दिया गया था। यह बैठक रिजर्व बैंक और सरकार की छोटी और मध्यम फर्मों को राहत प्रदान करने के एग्रीमेंट के एक हफ्ते बाद हुई है। इसे लेकर कई महीने तक कॉल्ड वॉर चला था। पटेल इससे पहले जून में पैनल के सामने पेश हुए थे। उस समय पटेल को बैड लोन, बैंक धोखाधड़ी और नकद संकट पर संसदीय पैनल के कठिन सवालों का सामना करना पड़ा था। आरबीआई के गवर्नर ने तब गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) के संबंध में संकट पर ध्यान देने का विश्वास व्यक्त किया और कहा कि बैंकिंग प्रणाली को मजबूत करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।

रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने मंगलवार को संसद की एक समित को वचन दिया कि वह केंद्रीय बैंक से संबंधित कुछ विवादास्पद मुद्दों पर अपनी बात लिखित रूप में प्रस्तुत करेंगे।सूत्रों ने कहा कि इन मुद्दों में सरकार की ओर से रिजर्व बैंक की उस धारा का प्रयोग करने का भी मुद्दा है जिसका उल्लेख इससे पहले किसी सरकार ने नहीं किया था। संबंधित धारा के तहत सरकार रिजर्व बैंक को निर्देश दे सकती है। वित्त पर संसद की स्थायी समिति के समक्ष पेश पटेल ने कहा कि अर्थव्यवस्था की बुनियाद सुदृढ़ है और तेल के दाम के चार साल के उच्च स्तर से नीचे आने से और मजबूती मिलेगी।

आरबीआई गवर्नर ने संसद सदस्यों ने यह भी कहा कि कर्ज में वृद्धि 15 प्रतिशत है और नवंबर 2016 में नोटबंदी का अर्थव्यवस्था पर अस्थायी प्रभाव पड़ा।  इससे पहले, पटेल को 12 नवंबर को समिति के समक्ष उपस्थित होना था। सूत्रों के अनुसार हालांकि उन्होंने आरबीआई कानून की धारा 7 के उपयोग, फंसे कर्ज, केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता और अन्य जटिल मुद्दों पर कुछ नहीं कहा। पटेल ने समिति के सामने अर्थव्यवस्था की स्थिति के साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था पर अपनी बातें रखी। कई सदस्यों ने इस पर सवाल पूछे। अर्थव्यवस्था को लेकर उनके विचार सकारात्मक थे।

सूत्रों ने कहा, ‘‘उन्होंने सरकार द्वारा विशेष शक्ति के उपयोग जैसे विवादास्पद सवालों का जवाब नहीं दिया और बुद्धिमानीपूर्वक अपनी बातें रखी।’’सदस्यों ने बासेल तीन के तहत बैंकों के लिये पूंजी पर्याप्तता नियम के क्रियान्वयन के बारे में सवाल पूछे। इस संदर्भ में गवर्नर ने कहा कि भारत जी-20 देशों को लेकर प्रतिबद्ध है और वैश्विक नियमों से बंधा है। एक अन्य सूत्र ने कहा कि बड़ी संख्या में सवाल पूछे गये। गवर्नर से 10 से 15 दिनों में लिखित जवाब देने को कहा गया।