रिजर्व बैंक ने बाजार को सुखद आश्चर्य में डालते हुए अपनी प्रमुख नीतिगत ब्याज दर रेपो में 0.25 फीसद कटौती की। पिछले 20 महीने में पहली बार रिजर्व बैंक ने अल्पकालिक ब्याज दर कम की है। बैंक के इस कदम से अब मकान, दुकान और वाहन के लिए बैंकों से लिया जाने वाला कर्ज सस्ता होगा।

रिजर्व बैंक के इस बहुप्रतिक्षित फैसले का सरकार, उद्योग और शेयर बाजार सभी ने खुलकर स्वागत किया। केवल इतना ही नहीं सार्वजनिक क्षेत्र के यूनियन बैंक और यूनाइटेड बैंक आॅफ इंडिया ने एक घंटे के भीतर अपनी बैंचमार्क कर्ज दर में उतने ही अनुपात में कमी कर दी। इन बैंकों के ग्राहकों को इसका लाभ मिलेगा। सार्वजनिक क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक, भारतीय स्टेट बैंक और निजी क्षेत्र के शीर्ष बैंक आइसीआइसीआइ बैंक ने भी कर्ज पर ब्याज दरों में जल्द कटौती का संकेत दिया है।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रिजर्व बैंक के फैसले के बाद कहा, ‘नीतिगत दरों में कटौती सकारात्मक कदम है। इससे उपभोक्ताओं के हाथ में ज्यादा पैसे होंगे और वह ज्यादा खर्च करेंगे। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बेहतर है।’ जेटली ने कहा कि रिजर्व बैंक के इस फैसले से निवेश चक्र में फिर से जान फूंकने में मदद मिलेगी। सरकार भी इसके लिए प्रयास करती रही है।

उद्योग भी ब्याज दर में कमी की मांग करता रहा है ताकि उसकी पूंजी की लागत कम हो और निवेश चक्र बढ़ाने में मदद मिले। रिजर्व बैंक ने अचानक बैंकों को अल्पकालिक उधार की दर जिसे रेपो दर कहते हैं को 8 फीसद से घटाकर 7.75 फीसद कर दिया। इसके साथ ही बैंकिंग तंत्र से नकदी सोखने की दर रिवर्स रेपो भी 7 से घटाकर 6.75 फीसद और बैंकों को त्वरित नकदी की सुविधा वाली मार्जिनल स्थायी सुविधा (एमएसएफ) नौ फीसद से घटकर 8.75 फीसद रह गई। बैंक दर भी इसी स्तर पर आ गई। रिजर्व बैंक ने इससे पहले मई 2013 में रेपो दर में 0.25 फीसद की कटौती की थी। तब इसे 7.5 फीसद से घटाकर 7.25 फीसद किया गया था। उसके बाद से रेपो दर में लगातार वृद्धि की जाती रही और जनवरी 2014 तक यह बढ़ती हुई 8 फीसद पर पहुंच गई। तब से रेपो दर इसी स्तर पर थी।

रिजर्व बैंक ने मौद्रिक समीक्षा की नियमित बैठक से करीब एक पखवाड़ा पहले ही नीतिगत दरों में कटौती कर दी। बैंक की द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा 3 फरवरी को होनी तय है। बैंक ने गुरुवार को शेयर बाजार खुलने से पहले ही इसकी घोषणा कर दी। खुदरा और थोक मुद्रास्फीति में गिरावट और वित्त मंत्रालय के चालू वित्त वर्ष के दौरान राजकोषीय घाटे को जीडीपी का 4.1 फीसद पर रखने के फैसले पर अडिग रहने के बीच रिजर्व बैंक ने यह कदम उठाया।
एसबीआइ की अध्यक्ष अरुंधति भट्टाचार्य ने कहा कि देश का सबसे बड़ा बैंक इस पर विचार करेगा कि आधार (ऋण) दर में कैसे और कब कटौती की जा सकती है। इधर आइसीआइसीआइ की प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी चंदा कोचर ने कहा कि यह ब्याज दरों में कटौती की दिशा में की गई पहल है। महंगाई की स्थिति के बारे में रिजर्व बैंक ने कहा, ‘मुद्रास्फीति जनवरी 2015 के लिए तय आठ फीसद के लक्ष्य से काफी नीचे आई है। मौजूदा नीतिगत हालात में मुद्रास्फीति जनवरी 2016 तक छह फीसद से नीचे रह सकती है।’

रिजर्व बैंक ने कहा कि फल-सब्जी, अनाज और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जिंसों विशेष तौर पर कच्चे तेल की कीमत में भारी गिरावट से मुद्रास्फीति उम्मीद से नीचे आ गई। भू-राजनैतिक झटकों को छोड़ दें तो इस साल उम्मीद है कि मुद्रास्फीति निम्न स्तर पर बनी रहेगी। फिक्की अध्यक्ष ज्योत्सना सूरी ने कहा, ‘इस कदम से निवेशकों की धारणा में सुधार लाने में मदद मिलेगी। फिक्की को उम्मीद है कि यह भविष्य में दरों में होने वाली कटौती की शुरुआत भर होगी। इसका असर बैंकों से सस्ते कर्ज के रूप में सामने आएगा।’

एसोचैम अध्यक्ष राणा कपूर ने रिजर्व बैंक के इस कदम पर कहा, ‘यह उद्योगों की उम्मीद के अनुरूप है और इससे आर्थिक वृद्धि बढ़ाने और निवेश प्रोत्साहन में मदद मिलेगी। सीआइआइ महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि रेपो दर में कटौती नए साल में एक चौंकाने वाला सकारात्मक कदम है। इससे निवेशकों की धारणा में काफी बदलाव आएगा।