भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को घोषणा की कि मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने रेपो दर नहीं बढ़ाने का फैसला किया है। यह आम लोगों के लिए बड़ी राहत है। आरबीआई गवर्नर ने घोषणा की है कि रेपो दर अब भी 6.5 प्रतिशत ही रहेगी। उन्होने कहा कि दुनिया की अर्थव्यवस्था चुनौतियों को सामना कर रही है लेकिन भारत अपनी स्थिति को स्थिर रखने के पूरे प्रयास करेगा।

गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि बैंकिंग और गैर-बैंकिंग वित्तीय प्रणाली स्वस्थ बनी हुई है और मौजूदा वित्त वर्ष में 7 प्रतिशत की अपेक्षित वृद्धि के साथ भारत की आर्थिक गतिविधि लचीली बनी हुई है। गवर्नर ने कहा की रेपो रेट नहीं बढ़ाने का फैसला इस मीटिंग में लिया गया है आगे की मीटिंग्स में कुछ अलग फैसले भी लिए जा सकते हैं।

रेपो दर (Repo Rate) क्या होती है?

रेपो दर (Repo Rate) के मुताबिक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और अन्य कमर्शियल बैंकों को पैसा उधार देता है। जबकि रिवर्स रेपो दर ऐसी दर है जिस पर कमर्शियल बैंक RBI को अपने पास बचे अधिशेष धन को जमा करते हैं और ब्याज दर अर्जित करते हैं। वित्त वर्ष 2024 के लिए आरबीआई ने आर्थिक विकास दर में इजाफा ना करते हुए इसे 6.4 फीसदी से 6.5 फीसदी कर दिया है. इस तरह आरबीआई को ग्रोथ में बढ़ोतरी का भरोसा है।

आरबीआई गवर्नर ने कहा, “इस अस्थिरता के बीच, भारत में बैंकिंग और गैर-बैंकिंग वित्तीय सेवा क्षेत्र स्वस्थ बने हुए हैं, और वित्तीय बाजार एक व्यवस्थित तरीके से विकसित हुए हैं। आर्थिक गतिविधि लचीली बनी हुई है, और वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि वित्त वर्ष 23 में 7 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।