सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की संविधान पीठ (Constitution bench) ने सोमवार को 4:1 के बहुमत से केंद्र सरकार द्वारा छह साल पहले 500 रुपये और 1,000 रुपये के नोटों के विमुद्रीकरण (Demonetisation) के फैसले को बरकरार रखा। फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार नोटबंदी से 6 महीने पहले से आरबीआई के साथ बातचीत कर रही थी।

RBI बोर्ड को नोटबंदी की जानकारी नहीं थी

उच्च-स्तरीय सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस से बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के केंद्रीय बोर्ड ने कहा कि वह नोटों की वापसी के बारे में ‘कभी लूप में नहीं’ था। एक अधिकारी, जो निर्णय लेने वाली टीम का हिस्सा थे, उन्होंने संकेत दिया कि आरबीआई बोर्ड में इस मुद्दे पर उचित चर्चा ही नहीं हुई थी। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “ऐसा कहा जाता है कि सरकार छह महीने पहले से आरबीआई के साथ परामर्श कर रही थी। बोर्ड (RBI) कभी लूप में नहीं था। शायद आरबीआई के एक-दो लोगों को पता होगा। अचानक आधे घंटे या एक घंटे के भीतर आप एक नोटिस जारी करते हैं और एजेंडे के बारे में बताए बिना बैठक बुलाते हैं।

आरबीआई बोर्ड ने मई 2016 में नोटबंदी से छह महीने पहले 2,000 रुपये के नोटों को पेश करने की मंजूरी दे दी थी, लेकिन 2016 में जुलाई और अगस्त की बोर्ड बैठकों में 500 और 2000 के नोटों को वापस लेने पर चर्चा नहीं की।

द इंडियन एक्सप्रेस को अपने सूचना के अधिकार (RTI) के जवाब में आरबीआई ने कहा, “केंद्रीय बोर्ड ने 19 मई 2016 को 2000 रुपये के नोट पेश करने के प्रस्ताव पर चर्चा की और उसे मंजूरी दे दी। पिछले साल मई में बोर्ड की बैठक में 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों की वापसी पर कोई चर्चा नहीं हुई थी। 7 जुलाई और 11 अगस्त को केंद्रीय बोर्ड की बैठकों के दौरान भी इस पर चर्चा नहीं की गई थी।” रघुराम राजन (Raghuram Rajan) गवर्नर थे जब साल 2016 मई में आरबीआई बोर्ड द्वारा 2000 रुपये के नए नोट पेश करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी।

RTI जवाब में सामने आई जानकारी

एक प्रश्न पर कि क्या आरबीआई केंद्रीय बोर्ड को सरकार से 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों को विमुद्रीकृत करने का कोई प्रस्ताव प्राप्त हुआ था?आरबीआई ने एक अन्य आरटीआई के जवाब में कहा, “भारतीय रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड ने 8 नवंबर 2016 को आयोजित अपनी बैठक में केंद्र सरकार को 500 और 1000 रुपये के नोटों को वापस लेने के प्रस्ताव की सिफारिश की थी।” बता दें कि नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया है

हालांकि आरबीआई ने 8 नवंबर 2016 को केंद्रीय बोर्ड की बैठक के समय बताने से इनकार कर दिया और कहा कि मांगी गई जानकारी आरटीआई अधिनियम 2005 के 8 (1) (ए) के तहत इसे बताने से छूट प्राप्त है।