भले ही वर्क फ्रॉम होम के चलते तमाम कंपनियों और कर्मचारियों का कोरोना से बचाव हो रहा है, लेकिन इसकी मार देश के बड़े क्लॉथिंग ब्रांड रेमंड पर पड़ रही है। बड़ी संख्या में कर्मचारियों के घर से ही काम करने के चलते कपड़ों की मांग में कमी आई है और रेमंड का कारोबार प्रभावित हुआ है। इस संकट से निपटने के लिए कंपनी ने एक तिहाई से ज्यादा की कॉस्ट कटिंग करने का फैसला लिया है। मुंबई स्थित कंपनी की ओर से कर्मचारियों की छंटनी की जा रही है। इसके अलावा रेंट और मार्केटिंग की लागत में भी 35 फीसदी तक की कमी लाने की कोशिश की जा रही है। पिछले दिनों एक वर्चुअल इंटरव्यू में कंपनी के चेयरमैन गौतम हरि सिंघानिया ने कहा था कि हम जानते हैं कि यह संकट का दौर है और हम मजबूती से खड़े रहेंगे।

दुनिया भर में क्लॉथिंग बिजनेस में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का दखल बढ़ा है और पिछले दिनों ही दुनिया के दिग्गज ब्रैंड्स में से एक और दो सदी पुरानी कंपनी ब्रूक्स ब्रदर्स ने दिवालिया प्रक्रिया के लिए आवेदन किया है। 1925 में स्थापित रेमंड को भी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से चुनौती मिल रही है। इसके अलावा अब कोरोना संकट ने कंपनी की मुश्किलों को और बढ़ाने का काम किया है। कंपनियों के शेयरों में भी इस दौरान तेज गिरावट देखने को मिल रही है। भारत में 25 मार्च से लॉकडाउन लागू हुआ था और उसके चलते कंपनियों और व्यापारिक संस्थानों को करारा झटका लगा है। रेमंड ने इस संकट के बीच नए स्टोर खोलने, सुधार और टेक्नोलॉजी अपग्रेड करने के प्लान को टाल दिया है।

हालांकि दो जुलाई के बाद से कंपनी ने देश भर में अपने 1,638 स्टोर्स में से 1,332 स्टोर दोबारा खोल दिए हैं। हालांकि अब भी कोरोना काल के मुकाबले 45 फीसदी बिक्री ही दर्ज की जा रही है। कोरोना के इस संकट ने कंपनी को किस तरह से प्रभावित किया है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि रेमंड ने अपनी बेंगलुरु स्थित फैक्ट्री में पीपीई किट तैयार करना शुरू किया है। रेमंड के चेयरमैन गौतम हरि सिंघानिया ने कहा, ‘यदि आप बड़े ब्रांड होते हैं तो मंदी हमेशा आपके पक्ष में ही जाती है।’