केंद्र सरकार की कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की ओर से मिलिट्री एयरक्राफ्ट खरीदने की मंजूरी दे दी है। देश में पहली बार इसकी जिम्मेदारी प्राइवेट सेक्टर को सौंपी गई है। टाटा ग्रुप ने एयरबस के साथ मिलकर एविएशन मिलिट्री के लिए एयरक्राफ्ट बनाने की जिम्मेदारी उठाई है। इस मंजूरी के बाद देश में 6 हजार से ज्यादा रोजगार पैदा होंगे ही, वहीं देश के एविएशन सेक्टर में मॉर्डन टेक्नोलॉजी का भी आगमन होगा।
15 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की डील
अनुमान लगाया जा रहा है कि इस डील की कॉस्ट 15 हजार करोड़ रुपए होने के आसार हैं। 56 C295MW ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट पर काम साल 2012 से चल रहा है, लेकिन हाल ही में यह पूरा केस सीसीएस के पास पहुंचा। जिसके तहत 16 विमानों को एयरबस डिफेंस स्पेन से मंगाए जाएंगे, बाकी विमानों को 10 साल में टाटा फैसिलिटी में तैयार किए जाएंगे। जानकारी के अनुसार कोस्टगार्ड और दूसरी एजेंसीज भी इस तरह के विमानों का ऑर्डर दे सकती है। वहीं इन विमानों को एक्सपोर्ट भी किया जा सकता है, क्योंकि देश में बनने से इनकी लागत भी कम होगी।
देश में पहली बार होने जा रहा है ऐसा
रक्षा मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार यह देश का पहला ऐसा प्रोजेक्ट होगा जिसमें देश की सेना के लिए प्राइवेट कंपनी एयरक्राफ्ट तैयार करेगी। अभी तक यह जिम्मेदारी अकेले हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के हाथों में थी। सभी 56 विमानों पर स्वदेशी Electronic Warfare Suite सिस्टम लगा होगा। नए विमानों को पुराने एवरो विमानों से रिप्लेस किया जाएगा।
रोजगार पैदा होंगे
टाटा ग्रुप के अलावा तीन दर्जन से ज्यादा कंपनियों को इस प्रोजेक्ट में जोड़े जाने की संभावना है। जोकि विमानों लिए स्पेरपार्ट तैयार करेंगी। जो विमान घर में तैयार हो रहा है उसके 30 साल तक सेवा में रहने की उम्मीद है यानी उसकी लाइफ 30 साल तक हो सकती है। इस प्रोजेक्ट से 600 हायली स्किल्ड डायरेक्ट जॉब्स, 3000 इनडायरेक्ट जॉब्स और 3000 मीडियम स्किल्स रोजगार पैदा होंगे।