रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि रेलवे व्यापक योजना के जरिए अगले पांच साल में ईंधन और बिजली खर्च में 5,000 करोड़ रुपए की कटौती करेगा। रेलवे का ऊर्जा बिल इस समय 34,000 करोड़ रुपए सालाना है। उन्होंने यहां कहा, ‘रेलवे में वेतन और पेंशन के बाद ऊर्जा बिल दूसरा सबसे बड़ा खर्च है। इसीलिए हमें ऊर्जा को इस रूप में खर्च करना है जिससे लागत का अनुकूलतम उपयोग हो।’रेलवे में जहां डीजल का सालाना बिल करीब 22,000 करोड़ रुपए है, वहीं बिजली की लागत करीब 12,500 करोड़ रुपए है।

रेलवे में ऊर्जा दक्ष प्रौद्योगिकी पर आयोजित वैश्विक सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रभु ने कहा, ‘हमें ऊर्जा कुशलता पर जोर देना है क्योंकि यह काफी महत्वपूर्ण है। जरूरत इस बात की है कि हम अधिक दक्षता के साथ ऊर्जा का कम उपयोग करें।’

ऊर्जा बचत और लागत में कटौती के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी और नवप्रवर्तन समाधान की वकालत करते हुए प्रभु ने कहा, ‘हमें इसके लिए रूपरेखा तैयार करनी है ताकि रेलवे अगले पांच साल में ऊर्जा बिल में 5,000 करोड़ रुपए की कटौती कर सके। एक व्यापक ऊर्जा दक्षता योजना पर काम करने की जरूरत है।’

उन्होंने कहा कि ऊर्जा लागत कम करने के साथ कार्बन उत्सर्जन में कमी के लिए सौर बिजली, पवन ऊर्जा, बायो-डीजल, कचरे से ऊर्जा बनाने की परियोजनाएं जैसे कई विकल्प हैं। उन्होंने यह भी कहा कि रेलवे ने वास्तविक स्थिति का पता लगाने के लिए ऊर्जा आडिट शुरू किया है।

इस मौके पर रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा ने कहा कि ऊर्जा बिल में कटौती के लक्ष्य के लिए पांच साल की समयसीमा का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए। रेलवे इस समय रेलवे फाटक, सौर ऊर्जा आधारित स्टेशनों पर लाइट, कटरा समेत कई स्टेशनों पर सौर संयंत्रों के साथ कुछ ट्रेनों की छतों पर सौर पैनलों के जरिए 10.5 मेगावाट सौर ऊर्जा का उपयोग कर रहा है। इसके अलावा रेलवे 160 मेगावाट क्षमता की पवन ऊर्जा परियोजना स्थापित करने की योजना बना रहा है।