रेलवे गंभीर वित्तीय संकट का बोझ झेल रही है. ऐसे में वित्त वर्ष 2015-16 के रेल बजट में नई ट्रेनों की घोषणा का आंकड़ा 100 से कम रहने की संभावना है. यह आमतौर पर प्रत्येक साल होने वाली घोषणाओं से काफी कम है।

रेल मंत्री सुरेश प्रभु को सुधार समर्थक माना जाता है. माना जा रहा है कि प्रभु रेल बजट में कई राज्यों की मांग के बावजूद अधिक नई ट्रेनों की घोषणा नहीं करेंगे, क्योंकि कोष की कमी से रेलवे का काफी काम बरसों से अटका हुआ है।

आमतौर पर रेल बजट में हर साल 150 से 180 नई ट्रेनों की घोषणा होती है. पिछले साल भी करीब 160 ट्रेनों की घोषणा हुई थी।

सूत्रों के मुताबिक प्रभु इस मामले में अलग रूख अपना सकते हैं और संभवत: अपने पहले रेल बजट भाषण में वह अधिक नई ट्रेनों की घोषणा नहीं करेंगे. रेल बजट में अधिक नई ट्रेनों की घोषणा न करने की लाभ हानि का आकलन करने के बाद अब संशोधित प्रस्ताव को आगे बढ़ाया गया है। इसमें बहुत सीमित संख्या में नई ट्रेनों की घोषणा होगी. इसके अलावा अतिरिक्त कोष जुटाने के लिए कुछ ट्रेनों की ब्रांडिंग भी की जा सकती है।

प्रस्ताव के अनुसार इन नई ट्रेनों पर कुछ लोकप्रिय ब्रांडों के विज्ञापन लगे होंगे. इनका नाम भी कोका कोला एक्सप्रेस या हल्दीराम एक्सप्रेस आदि किया जा सकता है. इसके अलावा रेल बजट में कुछ लोकप्रिय मार्गों पर दूसरी श्रेणी के कोचों के साथ कुछ अनारक्षित ट्रेनों जैसे ‘जन साधारण एक्सप्रेस’ आदि की घोषणा हो सकती है. आम आदमी को सस्ती यात्रा के लिए इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाया जा सकता है. रेल बजट संसद में 26 फरवरी को पेश किया जाएगा।

रेल बजट में करीब 20 ट्रेनों के सेट के अधिग्रहण का भी प्रस्ताव किया जा सकता है. ये ट्रेनें लोकप्रिय राजधानी व शताब्दी के मार्गों पर चलाई जाएंगी. बिहार में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर वहां के लिए ट्रेनों की घोषणा हो सकती है. इसके अलावा पूर्वोत्तर के लिए भी नई ट्रेनों की घोषणा हो सकती है।

माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश, ओडिशा, बंगाल व गुजरात जैसे राज्यों के लिए नई ट्रेनों की घोषणा के साथ क्षेत्रीय संतुलन स्थापित करने का प्रयास किया जाएगा।