लगातार राजनीतिक हमलों के बीच रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने शनिवार (18 जून) को बैंक के गवर्नर पद पर दूसरे कार्यकाल से इनकार कर दिया। अचानक की गई इस घोषणा से रिजर्व बैंक गवर्नर के पद पर राजन के बने रहने को लेकर लगाई जा रही अटकलों पर विराम लग गया। राजन ने रिजर्व बैंक के कर्मचारियों को जारी संदेश में कहा, ‘उचित सोच-विचार और सरकार के साथ परामर्श के बाद मैं आपके साथ यह साझा करना चाहता हूं कि मैं चार सिंतबर 2016 को गवर्नर के तौर पर कार्यकाल समाप्त होने पर शैक्षिक क्षेत्र में वापस लौट जाऊंगा।’
इस बात को लेकर अटकलें काफी जोरों पर थीं कि राजन को रिजर्व बैंक गवर्नर के तौर पर दूसरा कार्यकाल मिलेगा अथवा नहीं। खासतौर से तब जब भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने हाल ही में उनपर उनकी नीतियों को लेकर लगातार हमले किये। स्वामी ने कहा कि ब्याज दर के मामले में राजन की सख्त नीतियों की वजह से अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा है। उल्लेखनीय है कि राजन अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के जाने माने अर्थशास्त्री रहे हैं और उन्होंने 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के बारे में काफी पहले ही भविष्यवाणी कर दी थी।
स्वामी ने अन्य आरोप लगाने के साथ साथ राजन की सोच पूरी तरह भारतीय होने को लेकर भी सवाल उठाया था क्योंकि उनके पास अमेरिका का ग्रीन कार्ड है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राजन पर स्वामी द्वारा खुलेआम किए जा रहे हमलों के बीच सार्वजनिक आलोचना को लेकर संयंम बरते जाने की अपील की, जबकि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था कि हाल ही में राज्यसभा में नामित सांसद द्वारा की जा रही टिप्पणियां उनकी निजी राय है।
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रिजर्व बैंक गवर्नर ने अपने सहयोगियों को लिखे पत्र में कहा है कि वह जरूरत पड़ने पर अपने देश की सेवा के लिए हमेशा उपलब्ध होंगे। राजन, 53 वर्ष को पिछली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने सितंबर 2013 में रिजर्व बैंक का गवर्नर नियुक्त किया था। राजन ने यह भी कहा कि दो प्रमुख मामलों – मुद्रास्फीति पर नियंत्रण और बैंक खातों को साफ सुथरा बनाने – पर काम पूरा होना बाकी है और वह यह काम पूरा होते देखना चाहते थे, लेकिन उन्होंने अपना मौजूदा कार्यकाल समाप्त होने के बाद पठन पाठन की तरफ लौटने का फैसला किया है।
शिकागो विश्वविद्यालय के वित्त विभाग के छुट्टी पर चल रहे प्रोफेसर ने बिना कोई खास वजह बताए कहा कि उन्होंने काफी सोच-विचार और सरकार के साथ सलाह मशविरा करने के बाद कार्यकाल की समाप्ति पर शैक्षिक क्षेत्र में वापस लौटने का फैसला किया है। ऐसी चिंता व्यक्त की जा रही थी कि रिजवÊ बैंक गवर्नर पद से राजन के हटने का देश के वित्तीय बाजारों पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। इन दिनों ब्रेक्जिट (ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से बाहर निकलने), ग्रेक्जिट (यूनान के यूरोपीय संघ से बाहर होने) की तर्ज पर रेक्जिट (राजन के आरबीआई छोड़ने) की पदावलि चर्चित हो गई थी।
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गवर्नर ने अपने पत्र में इसका विशेष तौर पर कोई जिक्र तो नहीं किया लेकिन कहा कि रिजर्व बैंक ब्रेक्जिट जैसे बाजार में उतार-चढ़ाव लाने वाले खतरों से पार पा लेगा। राजन ने कहा कि रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा प्रवासी (बी) जमा के भुगतान तथा उनके बाह्य प्रवाह को लेकर पर्याप्त तैयार की है ताकि यह व्यवस्थित तरीके से हो। इसमें कोई बड़ी बात नहीं होनी चाहिए। राजन उन चिंताओं के संबंध में कह रहे थे कि सितंबर-अक्तूबर में परिपक्व हो रहे इन बांड से देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर पड़ने वाले अचानक दबाव का असर बाजार पर पड़ सकता है।
रिजर्व बैंक प्रमुख को आम तौर पर उद्योग और विशेषज्ञों ने सराहा है लेकिन स्वामी और कुछ अन्य नेताओं ने उनपर महंगाई को काबू में नहीं रख पाने और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिये ब्याज दरें कम नहीं करने को लेकर लगातार हमले किए। गवर्नर ने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि उनके उत्तराधिकारी रिजर्व बैंक को नई ऊंचाई पर ले जाएगे। उन्होंने कहा, ‘मैं शिक्षक हूं और मैंने हमेशा साफ किया है कि मेरा आखिरी ठिकाना विचारों की दुनिया है। मेरा तीन साल का कार्यकाल खत्म होने वाला है और शिकागो विश्वविद्यालय से छुट्टी का भी। इसलिए यह विचार करने का सही समय था कि हमने कितना काम पूरा किया।’
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उन्होंने कहा, ‘पहले पहले दिन जो काम शुरू किया था वह पूरा हो गया लेकिन बाद के दो घटनाक्रमों का पूरा होना बाकी है। मुद्रास्फीति लक्षित दायरे में है लेकिन मौद्रिक नीति समिति का गठन बाकी है जो अब नीति तय करेगी।’ राजन ने कहा, ‘इसके अलावा परिसंपत्ति गुणवत्ता समीक्षा के तहत बैकों के लेखे जोखे को साफ सुथरा बनाने का जो काम शुरू किया गया था उससे बैंकों की बैलेंस शीट में अपेक्षाकृत विश्वसनीयता आई है और यह काम अभी चल रहा है। हालांकि, निकट भविष्य में अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रमों से कुछ जोखिम हो सकता है।’
उन्होंने कहा, ‘मैं चाहता था कि ये काम हो जाए लेकिन सोच-विचार कर और सरकार के साथ परामर्श के बाद मैं आपके साथ साझा करना चाहता हूं कि मैं चार सितंबर 2016 को अपना कार्यकाल समाप्त होने पर पठन-पाठन के काम में लौट जाऊंगा। मैं, निश्चित तौर पर, जरूरत पड़ने पर अपने देश की सेवा के लिए हमेशा उपलब्ध रहूंगा।’ उन्होंने कहा, ‘मेरे सहयोगियो, हमने पिछले तीन साल में वृहत्-आर्थिक और संस्थागत स्थिरता का मंच तैयार किया है।’
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मुखर होकर अपनी राय व्यक्त करने के लिए जाने जानेवाले राजन ने विभिनन मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखी। चाहे यह सहिष्णुता पर छिड़ी बहस हो या फिर भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में उनकी ‘अंधों में काना राजा’ वाली टिप्पणी हो, उन्होंने अपनी बात खुलकर रखी है। राजन ने अपने संदेश में केंद्रीय बैंक के प्रमुख के तौर पर अपने तीन साल के कार्यकाल पर गौर करते हुये कहा कि कहा कि उन्होंने 2013 में मुश्किल परिस्थितियों में गवर्नर का पद संभाला जब देश पांच प्रतिशत की कमजोर वृद्धि के दौर में था, मुद्रास्फीति काफी ऊंची थी और रुपए पर अतिशय दबाव था।
उन्होंने अपने शुरुआती बयान का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने संकट से निपटने के लिए प्रवासी भारतीयों के लिए विशेष जमा सुविधा शुरू करने की बात की थी। लेकिन गवर्नर ने फौरन कहा कि देश अब कमजोर स्थिति में नहीं है। उन्होंने कहा, ‘आज भारत विश्व की सबसे अधिक तेजी से वृद्धि दर्ज कर रही अर्थव्यवस्था हैं और हम पांच प्रतिशत की कमजोर वृद्धि दर के दौर से काफी पहले बाहर निकल चुके हैं।’ राजन ने अपने पत्र में अन्य बातों का भी जिक्र किया जिनके बारे में उन्होंने पहले कहा था। उन्होंने मुद्रास्फीति का लक्ष्य तय करने, नई तरह के बैंकों की शुरुआत करने और लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया को निरंतर जारी रखने के साथ साथ डेटा बेस के जरिये संपत्ति गुणवत्ता दबाव की समस्या का समाधान करने जैसे मुद्दों का भी जिक्र किया।
राजन ने कहा, ‘आज, मैं गर्व महसूस कर रहा हूं कि रिजर्व बैंक में हमने इन सभी प्रस्तावों पर काम पूरा किया है।’ राजन ने रिजर्व बैंक गवर्नर का पद संभालने से पहले संप्रग सरकार में तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के साथ मुख्य आर्थिक सलाहकार के तौर पर भी काम किया है। इसके अलावा उन्होंने वित्तीय क्षेत्र के सुधारों पर गठित समिति की भी अध्यक्षता की है। रिजर्व बैंक गवर्नर के पद पर अपने तीन साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद राजन वर्ष 1992 के बाद रिजर्व बैंक के ऐसे पहले गवर्नर होंगे जिनका पांच साल से कम का कार्यकाल रहा है। रिजर्व बैंक में इससे पहले गवर्नर रहे –डी. सुब्बाराव (2008-13), वाई वी रेड्डी (2003-08) बिमल जालान (1997-2003) और सी. रंगराजन (1992-1997) इन सभी का पांच साल का (तीन जमा दो) अथवा इससे अधिक का कार्यकाल रहा।
राजन ने 4 सितंबर 2013 को रिजर्व बैंक के 23वें गवर्नर के तौर पर पद संभाला। उन्होंने कहा है कि मौद्रिक नीति समिति को संचालित करने का काम जो कि मुद्रास्फीति लक्ष्य तय करने की रूपरेखा को आगे बढ़ायेगी और बैंकों के खातों को साफ सुथरा करने का काम पूरा नहीं हुआ है। देश में 360 अरब डॉलर के विदेशी मुद्रा भंडार के बारे में राजन ने कहा कि यह रिकॉर्ड ऊंचाई पर है और उन्होंने विश्वास जताया कि प्रवासी भारतीय जमा के भुगतान का काम बिना किसी परेशानी के पूरा कर लिया जाएगा।
सरकार ने राजन के ‘अच्छे काम’ की प्रशंसा की, उत्तराधिकारी की घोषणा जल्द: जेटली
नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 18 जून को कहा कि सरकार रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन द्वारा किए गए ‘अच्छे काम’ की प्रशंसा करती है और उनके उत्तराधिकारी पर फैसला जल्द किया जाएगा। उन्होंने फेसबुक पोस्ट में कहा, ‘डॉक्टर रघुराम राजन ने अपना मौजूदा कार्यकाल खत्म होने के बाद पठन-पाठन के क्षेत्र में वापस लौटने की मंशा की घोषणा की है। सरकार उनके द्वारा किए गए अच्छे कार्यों की प्रशंसा करती है और उनके फैसले का सम्मान करती है।’ उन्होंने कहा, ‘उनके उत्तराधिकारी को लेकर फैसले की घोषणा जल्दी की जाएगी।’
राजन ने इससे पहले कहा कि चार सितंबर को आरबीआई गवर्नर का कार्यकाल पूरा होने के बाद पठन-पाठन के क्षेत्र में लौटेंगे। राजन ने आरबीआई कर्मचारियों को जारी संदेश में कहा, ‘‘सोच-विचार और सरकार के साथ परामर्श के बाद मैं आपके साथ यह साझा करना चाहता हूं कि मैं चार सितंबर 2016 को अपना कार्यकाल समाप्त होने पर पठन-पाठन के क्षेत्र में वापस लौटूंगा।’’