भले ही कोरोना के संकट की वजह से भारत समेत दुनिया भर में ठहराव आ गया हो, लेकिन इस बीच भी देश के सबसे लंबे एक्सप्रेसवे पर तेजी से काम चल रहा है। लखनऊ से पूर्वांचल के गाजीपुर जिले को जोड़ने वाले 341 किलोमीटर लंबे पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर इस साल के अंत तक ही काम समाप्त हो सकता है। हालांकि इस प्रोजेक्ट के समाप्त होने की डेडलाइन अप्रैल 2021 तय की गई है। 22,500 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला यह 6 लाइन का एक्सप्रेसवे राज्य के 9 जिलों को सूबे की राजधानी से जोड़ेगा। यही नहीं इसके आगे लखनऊ-आगरा और फिर यमुना एक्सप्रेसवे से सीधे दिल्ली तक पहुंचा जा सकेगा।
341 किलोमीटर की लंबाई के साथ यह देश का सबसे लंबा एक्सप्रेसव होगा। यूपी में सबसे पहले बने यमुना एक्सप्रेसवे की लंबाई 165 किलोमीटर है, जबकि आगरा से लखनऊ के लिए बना एक्सप्रेस 302 किलोमीटर लंबा है। उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डिवेलपमेंट अथॉरिटी के सीईओ अवनीश अवस्थी ने कहा कि यदि इस साल मॉनसून कमजोर रहता है तो इस पर साल के अंत तक काम पूरा हो सकता है।
उन्होंने कहा, ‘लॉकडाउन से पहले एक्सप्रेसवे के काम में करीब 10,000 मजदूर लगे हुए थे, जिनकी संख्या अब 5,500 रह गई है। हमने कंपनियों को तेजी से काम करने के लिए कहा है। इसके अलावा हम और ज्यादा मजदूरों को काम पर वापस बुलाने की प्लानिंग कर रहे हैं। हमें लगता है कि एक या दो सप्ताह में हमारे पास पूरी वर्कफोर्स होगी और हम पहले जैसी गति के साथ काम कर सकेंगे।’
काम से पहले मजदूरों का होता है मेडिकल परीक्षण: अथॉरिटी के मीडिया सलाहकार दुर्गेश उपाध्याय ने कहा कि 80 पर्सेंट से ज्यादा अर्थवर्क पूरा हो चुका है। इसके अलावा प्रोजेक्ट पर 48 फीसदी फिजिकल वर्क भी पूरा हो चुका है। वर्कफोर्स में इजाफे के बाद हम समय से पहले ही बचे हुए 52 फीसदी काम को भी पूरा कर लेंगे। इस बीच कोरोना से बचाव के लिए उन जिलों के डीएम को हिदायत दी गई है, जिनसे यह एक्सप्रेसवे गुजरता है। आदेश दिया गया है कि किसी भी लेबर का काम से पहले मेडिकल परीक्षण किया जाएगा। अवनीश अवस्थी ने कहा कि हम काम के दौरान यह ध्यान रख रहे हैं कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जाएगा और बचाव के अन्य सभी उपायों को अपनाया जाए।