केंद्र सरकार लंबे समय से घाटे में चल रही सरकारी कंपनियों पर बड़ा फैसला लेने की तैयारी कर रही है। इस मामले से जुड़े हुए दो बड़े अधिकारियों ने बताया कि सरकार भारी उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत चलने वाली इन घाटे वाली कंपनियों की समीक्षा कर रही है।  बिजनेस न्यूज वेबसाइट मिंट की खबर के मुताबिक नाम न बताने की शर्त केस आधार पर अधिकारियों का कहना है कि सरकार के पास इन कंपनियों को लेकर तीन विकल्प है। पहला ऐसी सभी कंपनियों के संचालन बंद कर दिया जाए। दूसरा इन कंपनियों का पुनर्गठन (Restructuring) और तीसरा आखिरी विकल्प विनिवेश (Divestment) है।

इन कंपनियों को बंद कर चुकी है सरकार:  हाल के वर्षों में केंद्र सरकार ने नुकसान में चल रही कई कंपनियों को बंद किया है। इसमें कुछ समय पहले स्कूटर्स  इंडिया एंड भारत पंप एंड कंप्रेसर्स लिमिटेड, 2015 में तुंगभद्रा स्टील प्रोडक्ट्स लिमिटेड, एचएमटी वॉचेज, एचएमटी चिनार वॉचेज और 2016 में एचएमटी बेयरिंग को बंद किया था।

भारी उद्योग मंत्रालय के पास 29 कंपनियां: लोक उधम विभाग (Department of Public Enterprises) की वार्षिक रिपोर्ट के आधार पर भारी उद्योग मंत्रालय के अंर्तगत 29 सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां हैं। जिसमें से 17 कंपनियों का संचालन वर्तमान में हो रहा है। इन 17 कंपनियों में से 6 मुनाफे में, जबकि 11 कंपनियां घाटे में हैं। बाकी बची 12 कंपनियों में से 5 कंपनियां का संचालन नहीं हो रहा है जबकि 7 कंपनियों पर ताले लटका दिए गए हैं।

वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक मुनाफे वाली कंपनियों में इंजीनियर प्रोजेक्ट (इंडिया) लिमिटेड, ब्रेथवेट, बर्न & जेसोप कंस्ट्रक्शन लिमिटेड, एचएमटी लिमिटेड, एचएमटी (इंटरनेशनल) लिमिटेड, रिचर्डसन एंड क्रुड्डस (1972) लिमिटेड और ब्रिज एंड रूफ को. (इंडिया) लिमिटेड शामिल है।

घाटे वाली कंपनियों में एचएमटी मशीन टूल्स (जो एचएमटी लिमिटेड की सहायक कंपनी है),राजस्थान इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंस्ट्रूमेंट, भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL), नेपा लिमिटेड, हिंदुस्तान साल्ट्स लिमिटेड, सांभर साल्ट्स लिमिटेड, एंड्रयू यूल एंड को. लिमिटेड, हेवी इंजीनियर कॉरपोरेशन लिमिटेड एंड सीमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड का नाम शामिल है। बता दें भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) ने दिसंबर 2021 की तिमाही में 14 करोड़ रुपए का दर्ज किया था जबकि पिछले साल इसी दौरान कंपनी को 251 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था।