शिक्षक दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी एक बार फिर से एक दिन के लिए टीचर बने और सोमवार को राष्ट्रपति भवन स्थित डॉ राजेंद्र प्रसाद सर्वोदय विद्यालय में लगभग एक घंटे की क्लास लिया। ‘आजादी के समय से भारत में राजनीति’ विषय पर स्कूली बच्चों को लेक्चर देते हुए राष्ट्रपति ने ‘धर्मनिरपेक्षता’ का महत्व बताया और ‘सीमा पार आतंकवाद’ की भी चर्चा की, लेकिन साथ में उन्होंने यह भी कहा ‘भारत स्वदेश में पनपे आतंकवाद’ से काफी हद तक मुक्त है। लेक्चर के दौरान प्रणव मुखर्जी ने देश में संसद और राज्य विधानसभाओं में एक साथ चुनाव पर राजनीति सहमति बनाने की भी बात कही।
सोमवार को सुबह साढ़े दस बजे शुरू हुई प्रणव मुखर्जी की पाठशाला में 11वीं और 12वीं के विद्यार्थियों ने पढ़ाई की और आजादी के बाद भारतीय राजनीति के विकास पर महत्वपूर्ण जानकारी हासिल की।

इसके बाद विद्यार्थियों ने सवाल भी किए। देश में एक साथ चुनाव करवाने के मुद्दे पर एक छात्र के सवाल के जवाब में राष्ट्रपति ने कहा, ‘लोगों और राजनीतिक दलों को मिलकर सोचना होगा।’ उन्होंने कहा,‘संसदीय राजनीति व्यवस्था कायम कर हम अपनी काबिलियत साबित कर चुके हैं। इसके लिए सभी राजनीतिक दलों को इस समस्या और इसके समाधान पर सोचना होगा कि कैसे राजनीतिक स्थिरता स्थापित हो और वो मिलकर ऐसा कर सकते हैं।’ ओलंपिक में प्रदर्शन सुधारने संबंधी एक अन्य छात्रा के सवाल पर राष्ट्रपति ने समग्र आर्थिक और सामाजिक विकास तथा धन के समान वितरण पर जोर दिया।

लेक्चर के क्रम में राष्ट्रपति ने विभाजन के उपरांत 1947 के सांप्रदायिक दंगों और जनमानस पर उसके प्रभाव का जिक्र करते हुए कहा, ‘धर्मनिरपेक्षता केवल सिद्धांत नहीं है। यह विश्वास का विषय है। यह हमारे संविधान में निहित है। धर्मनिरपेक्षता हमारे जीवन का हिस्सा है।’ आतंकवाद की चर्चा करते हुए प्रणव मुखर्जी ने कहा कि भारत विश्वभर में देखने को मिल रहे स्वदेश में ही पनपे आतंकवाद से ‘काफी हद तक मुक्त’ है क्योंकि यहां के लोग अपनी जड़ों से जुड़े हुए हैं और बहुलवाद में विश्वास रखते हैं। हालांकि, उन्होंने कहा कि भारत ने सीमा पार आतंकवाद का गहरा दंश झेला है।

राजनीति में आने से पहले शिक्षक रह चुके राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने विद्यार्थियों के समक्ष आजादी के बाद भारतीय राजनीति के विकास को क्रमवार रूप से रखा। उन्होंने राजनीतिक हत्याओं के बारे में भी विचार व्यक्त किए, लेकिन कहा कि इन घटनाओं के बावजूद ‘हमारे यहां एक स्थिर राजनीतिक सरकार है।’ राष्ट्रपति ने कहा कि हम सब एक जैसी व्यवस्था से ताल्लुक रखते हैं और यह एक ‘अद्वितीय’ विशिष्टता है। उन्होंने विद्यार्थियों को राजनीतिक दलों विशेषकर जनसंघ से भाजपा के उद्भव और राज्यों के पुनगर्ठन के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा, ‘संसदीय शासन व्यवस्था, चुनावी परिणामों के आधार पर सरकार का बनना, और भाषा के आधार पर राज्यों का पुनर्गठन, राजनीतिक दलों का उद्भव, गठबंधन की राजनीति का विकास – ये सभी आजादी के बाद अहम बदलाव रहे।’

देश के आर्थिक विकास पर बात करते हुए राष्ट्रपति ने भारतीय अर्थव्यवस्था की ताकत की सराहना की और कहा कि अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में आठ साल तक गिरावट रहने के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था अटल रही । उन्होंने उम्मीद जताई कि देश की अर्थव्यवस्था आने वाले दिनों (2016-17) में 7.5 फीसद से ज्यादा की वृद्धि दर्ज कर पाएगी। दिल्ली सरकार द्वारा आयोजित ‘प्रणव सर की क्लास’ का यह दूसरा संस्करण था। राष्ट्रपति के लेक्चर पर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने धन्यवाद देते हुए कहा कि देश में सबसे बड़े पद पर बैठने के बाद एक शिक्षक के रूप में आना देश भर के शिक्षकों का सबसे बड़ा सम्मान है। राष्ट्रपति को एक दिन के लिए शिक्षक की भूमिका में आमंत्रित करने की शुरूआत पिछले साल दिल्ली सरकार ने की थी। यह दिल्ली सरकार के ‘बी ए टीचर’ नामक कार्यक्रम का हिस्सा है जिसके तहत समाज के अगल-अगल क्षेत्रों के प्रतिष्ठित लोग स्कूल में क्लास लेते हैं और विद्यार्थियों को जीवन में उत्कृष्टता हासिल करने के लिए प्रेरित करते हैं।