आज देश के हर हिस्से में स्टार्टअप की मौजूदगी है। उद्यम क्षेत्र में आए इस नवाचारी तेजी के कारण जहां लोगों के सामने रोजगार के नए विकल्प हैं, वहीं यह पूरा क्षेत्र एक ऐसे औद्योगिक ढांचे के तौर पर भी सामने आ रहा है, जिसका स्वरूप हर स्तर पर समावेशी है। नव-उद्यम के साथ शुरू हुए इस प्रयोग को खासतौर पर रोजगार सृजन के लिहाज से खासा अहम माना जा रहा है। इस बात की अहमियत इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि देश आज अभूतपूर्व रोजगार संकट का सामना कर रहा है।
पिछले महीने वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने निर्यात को बढ़ावा देने को लेकर अलग-अलग उद्योग संगठनों की एक बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि देश में 54,000 स्टार्टअप मौजूदा समय में 5.5 लाख रोजगार उपलब्ध करा रहे हैं, वहीं अगले पांच साल के दौरान 50,000 नए स्टार्टअप 20 लाख नए रोजगार पैदा करेंगे।
एक औद्योगिक अनुमान के अनुसार, भारत में वर्तमान में 53 ऐसे स्टार्टअप हैं, जिनका कुल मूल्यांकन 1.4 लाख करोड़ रुपए है। भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम को विश्व स्तर पर तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप इकोसिस्टम के रूप में मान्यता मिली है। साफ है कि भारत में नए उद्यमी आगाज की नई दुनिया संभावना और सामर्थ्य दोनों ही खूबियों से लैस है।