भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी की जमानत याचिका पर ब्रिटेन के उच्च न्यायालय में बुधवार (12 जून) को फैसला सुनाया गया। उच्च न्यायालय ने नीरव मोदी को बड़ा झटका देते हुए जमानत नहीं देने से इनकार कर दिया। नीरव मोदी की याचिका पर अदालत ने मंगलवार को सुनवाई पूरी की थी। यह चौथी बार है जब लंदन की अदालत में नीरव मोदी की जमानत याचिका खारिज हुई है। उच्च न्यायालय की न्यायाधीश ने कहा कि यह मानने का ठोस आधार है कि नीरव मोदी जमानत पर छूटने के बाद फिर से कानून के आगे समर्पण नहीं करेगा।
बता दें कि नीरव ने निचली अदालत के जमानत देने से इनकार करने के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। हीरा कारोबारी की यह कोशिश थी कि पंजाब नेशनल बैंक के साथ करीब दो अरब डॉलर की धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उसे भारत को न सौंपा जाए।
इससे पहले, नीरव मोदी की याचिका पर सुनवाई कर रहीं जस्टिस इंग्रिड सिमलर ने मंगलवार को सुनवाई पूरी की। उन्होंने कहा कि यह मामला महत्वपूर्ण है, इसलिए इस पर विचार करने के लिए कुछ समय की जरूरत होगी। इससे पहले नीरव मोदी की कानूनी टीम ने न्यायमूर्ति सिमलर की अदालत के समक्ष दलील रखना शुरू किया था। उसकी टीम की कोशिश थी कि मोदी को न्यायिक हिरासत में जेल में बंद रखने के मजिस्ट्रेटी अदालत के फैसले को पलट दिया जाए।
बता दें कि वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत नीरव मोदी की जमानत की अर्जी तीन बार खारिज कर चुकी है क्योंकि उसको लगा है कि यह हीरा कारोबारी ब्रिटेन से भाग सकता है। वहीं, नीरव मोदी की वकील क्लेयर मोंटगोमरी ने हाई कोर्ट से कहा था, “हकीकत यह है कि नीरव मोदी विकिलीक्स के सह-संस्थापक जूलियन असांजे नहीं हैं, जिसने इक्वाडोर के दूतावास में शरण ली है, बल्कि सिर्फ एक साधारण भारतीय जौहरी है।” मोंटगोमरी ने हाई कोर्ट में कहा था, “हकीकत यह है कि नीरव मोदी कोई दुर्दांत अपराधी नहीं है जैसा कि भारत सरकार की ओर से दावा किया जा रहा है। वह एक जौहरी हैं और उन्हें ईमानदार और विश्वसनीय माना जाता है।”