साढ़े 13 हजार करोड़ रुपए के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) घोटाला मामले में बैंक बोर्ड को कार्यकारी निदेशक के.वी.ब्रह्माजीराव और संजीव शरण के खिलाफ कोई आपराधिक सबूत नहीं मिले हैं। ये दोनों वही अफसर हैं, जिन्हें कुछ महीने पहले सरकार ने बर्खास्त कर दिया था। ‘बिजनेस स्टैंडर्ड’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 18 जनवरी को वित्त मंत्रालय ने राव और शरण को हटा दिया था।
दोनों अफसरों की बर्खास्तगी ऐसे समय पर की गई, जब वे कार्यकारी निदेशक के तौर पर अपना-अपना कार्यकाल पूरा करने के बेहद नजदीक थे। इससे छह महीने पहले मंत्रालय ने दोनों अफसरों के अलावा पूर्व पीएनबी की एमडी और सीईओ ऊशा अनंत सुब्रमण्यम को शो-कॉज नोटिस जारी किया था। इन तीनों से तब मामले को लेकर प्रतिक्रिया मांगी गई थी।
राव और शरण को हटाने से पहले सरकार ने अनंत सुब्रमण्यम को बाहर का रास्ता दिखा दिया था। रोचक बात है कि अगस्त 2018 में जिस दिन वह हटाई गईं, वह इलाहाबाद बैंक में मुख्य कार्यकारी अधिकारी के तौर पर उनका आखिरी दिन था।
वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) ने पिछले साल पीएनबी बोर्ड से उसी शो-कॉज नोटिस पर जवाब मांगा था। 26 जुलाई 2018 को इस मसले पर एक बैठक भी बुलाई गई थी। उसके मिनट्स के मुताबिक, “डीएफएस की तरफ से कोई ऐसी जानकारी नहीं मुहैया कराई गई, जो दर्शाती हो कि दोनों ही अफसर किसी आपराधिक गतिविधि में शामिल हैं या उनका आपराधिक घटना को अंजाम देने का इरादा था।” यह बैठक एमडी और सीईओ सीईओ सुनील मेहता की अध्यक्षता में हुई थी।
आरोप है कि राव और शरण बैंक के काम-काज की समुचित निगरानी करने और नियंत्रण के दायित्व में विफल रहे, जिसके कारण लगभग साढ़े 13 हजार करोड़ रुपए का यह घोटाला हो गया था। गौरतलब है कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) पहले ही इस मामले में आरोप पत्र दायर कर चुकी है, जिसमें शीर्ष प्रबंधन के कुछ अधिकारियों के अलावा कई कर्मचारियों के नाम शामिल हैं।