सोना एक कीमती धातु है। इसका इस्तेमाल मुद्रा और आभूषण बनाने में प्राचीन काल से होता रहा है। लोग धन जुटाने के लिए इसे यूज करते आ रहे हैं। अपने देश में लोग अक्सर सोने को एक एसेट के रूप में रखते हैं। सोने को धन और विरासत के प्रतीक के रूप में देखा जाता है जो एक पीढ़ी के बाद अगली पीढ़ी के लिए भी बना रहता है. इस कीमती धातु से जुड़े तमाम किस्से सुनने को मिलते हैं। लोग सोने को न सिर्फ एक एसेट बल्कि आभूषण के रूप में भी काफी पसंद करते हैं। यह निवेश का एक बेहतर विकल्प माना जाता है। 

सोने में निवेश के कई फायदे हैं। सबसे बड़ा फायदा इसमें निवेशक का पैसा सुरक्षित रहता है। सोने में पैसे लगाने से निवेश पोर्टफोलियो डायवर्सिफाई हो जाता है। इमेरजेंसी में सोने के बदले फंड जुटाना आसान होता है। सोना खरीदकर इसमें निवेश कर सकते हैं. इसके अलावा सोने में निवेश के दूसरे विकल्प भी मौजूद हैं। जिनमें से एक गोल्ड म्यूचुअल फंड है। यह सोने का डिजिटल फार्म है। जिसे पेपर गोल्ड भी कहा जाता है।

अगर आप अपनी सेविंग सोने में निवेश कर फायदा उठाना चाहते हैं लेकिन कनफ्यूज हैं कि फिजिकल गोल्ड में पैसा लगाना बेहतर होगा या गोल्ड म्यूचुअल फंड में तो यहां दोनों निवेश विकल्पों की खासियतें देखकर फैसला ले सकते हैं।

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फिजिकल गोल्ड

फिजिकल गोल्ड में निवेश का मतलब है सोने से बने बिस्किट-सिक्के, गहने या आभूषण खरीदना। अगर आप फिजिकल गोल्ड में निवेश का मन बना रहे हैं, तो इसके बारे में समझ लें.

लिक्विडिटी और एसेट 

फिजिकल गोल्ड एक एसेट है जो बिस्किट-सिक्के, गहने या आभूषण के रूप में आपके पास रहता है। इसे आप अपनी इच्छानुसार इस्तेमाल कर पाते हैं। दूसरी लिक्विडिटी, इमरजेंसी जैसी स्थिति में घर में रखे सोने, उससे बने गहने के बदले बड़े आसानी से पैसे जुटा सकते हैं। वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए सोने को बैंक में गिरवी रखकर गोल्ड लोन के जरिए फंड का इंतजाम कर सकते हैं. हालांकि इसमें सोने की प्योरिटी, गहनों की डिजाइन और मौजूदा बाजार वैल्यू काफी मायने रखती है।

स्टोरेज और प्योरिटी

राह चलते सोने की चेन छीने जाने की खबरें आज के समय में हर रोज सुनने को मिलती हैं। कई ऐसे भी मामले सामने आते हैं जिसमें लाखों-करोड़ो रुपये के साथ गहनों की चोरी हो जाती है। ऐसे में फिजिकल गोल्ड को सुरक्षित रखने के लिए उपाय करने होते हैं। कई लोग इसके बचाव के लिए बैंक लॉकर का इस्तेमाल करते हैं। बैंक की इस सविधा के लिए पैसे खर्च करने होते हैं।

फिजिकल गोल्ड की प्योरिटी सुनिश्चित करना अहम है, खासकर आभूषण या सिक्के खरीदते समय। नकली या कम प्योरिटी वाले सोने के गहने से बचने के लिए निवेशकों को भरोसेमंद दुकान से खरीदारी करनी चाहिए। साथ ही हॉलमार्क (Hallmark) भी चेक कर लेना चाहिए.

कीमत में शामिल होते हैं मेकिंग चार्ज और जीएसटी

फिजिकल गोल्ड की कीमत में मेकिंग चार्ज, जीएसटी और अन्य शामिल होते हैं। सोने से बने गहने की कीमत सेलर यानी बिक्रेताजों के हिसाब से अलग-अलग हो सकते हैं। ऐसे में खरीदारों को फिजिकल गोल्ड खरीदने से पहले अलग-अलग दुकानों पर जाकर कीमतों की जानकारी हासिल लेनी चाहिए और फिर उनकी आपस में तुलना कर खरीदने का फैसला करना चाहिए.

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गोल्ड म्यूचुअल फंड

गोल्ड म्यूचुअल फंड सोने का डिजिटल फार्म है। इस फार्म में सोने को गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (Gold ETF) या गोल्ड फंड के नामों से भी जाना जाता है। फिजिकल गोल्ड के अलावा गोल्ड म्यूचुअल फंड सोने में निवेश का आसान है। हालांकि निवेशकों को इसमें पैसा लगाने से पहले इन बातों के बारे में जान लेना चाहिए।

कैसे करते हैं निवेश

फिजिकल गोल्ड में निवेशक सीधे तौर पर पैसे लगाते हैं जबकि गोल्ड म्यूचुअल फंड में परोक्ष तौर पर फिजिकल गोल्ड बुलियन में निवेश करते हैं और ये फंड मैनेजर द्वारा मैनेज किए जाते हैं। इसमें निवेशकों को फंड यूनिट खरीदना होता है। 

डायवर्सिफिकेशन

गोल्ड फंड खरीदने से निवशकों का पोर्टफोलियो डायवर्सिफाई हो जाता हैं। इसमे निवेशक गोल्ड एसेट की एक बास्केट में निवेश करते हैं। इस तरह के निवेश से फिजिकल गोल्ड की तरह चोरी या छीने जाने का रिस्क कम हो जाते हैं।

लिक्विडिटी और पारदर्शिता

गोल्ड म्यूचुअल फंड यूनिटों को किसी अन्य म्यूचुअल फंड या स्टॉक की तरह स्टॉक एक्सचेंजों पर खरीदा और बेचा जा सकता है, जिससे लिक्विडिटी और पारदर्शिता मिलती है।

कम खर्चे में होता है मैनेज

फिजिकल गोल्ड की तुलना में, गोल्ड म्यूचुअल फंड में आमतौर पर कम ट्रांजेक्शन लागत आता है। साथ ही इसके रखरखाव और इंश्योरेंस पर खर्च का झंझट नहीं है। फंड मैनेजर बाजार के रुझानों पर नजर रखते हैं और निवेशकों की ओर से निवेश के फैसले लेते हैं। ऐसे में गोल्ड म्यूचुअल फंड में निवेश पर अधिक रिटर्न हासिल करने संभावना रहती है।