देश में पेट्रोल-डीजल के दामों में नवंबर के बाद से कोई भी बदलाव नहीं हुआ है। जिससे जनता को महंगाई से थोड़ी राहत मिली है लेकिन यह राहत अब लंबे समय तक जारी नहीं रहने वाली है। दुनिया में कच्चे तेल के दाम तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके कारण सरकारी तेल कंपनियां पर पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ाने का दबाव बढ़ता जा रहा है।
नवंबर से नहीं बड़े पेट्रोल डीजल के दाम:देश में नवंबर के बाद पेट्रोल डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं आया है। जबकि इस दौरान दुनिया में कच्चे तेल की कीमतों में 30 फीसदी का उछाल आ चुका है। ऐसे में सरकारी कंपनियों के लिए अब लंबे समय तक तेल की कीमतों में काफी रखना मुश्किल होता जा रहा है।
100 डॉलर के पास पहुंचा कच्चा तेल:दुनिया भर में कच्चे तेल के दाम रूस और यूक्रेन में युद्ध की आशंका के चलते तेजी से बढ़ रहे हैं। 21 फरवरी 2022 को लंदन में कच्चे तेल के अप्रैल फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट के दाम 99.38 डॉलर के पास पहुंच गए। वहीं, विशेषज्ञों मानना है कि कच्चे तेल के दाम जल्द $100 के पार देखने को मिल सकते हैं। इससे न सिर्फ दुनिया में पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ेंगे बल्कि महंगाई में भी इजाफा होगा।
हर चुनाव में लगता है पेट्रोल-डीजल पर ब्रेक: पेट्रोल डीजल की कीमतों में चुनाव का कोई सीधा संबंध ना हो लेकिन जब चुनाव आते हैं तो पेट्रोल डीजल की कीमतों में ब्रेक लगा जाता है। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2022 के दौरान देश में पेट्रोल डीजल की कीमतों में लगभग 2 महीने तक कोई भी बदलाव नहीं आया था। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के दौरान 28 अक्टूबर से 7 नवंबर तक यही स्थिति बनी थी। जबकि 2017 में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और पंजाब के विधानसभा चुनावों में 19 दिनों तक पेट्रोल डीजल की कीमतों में सरकार ने कोई बदलाव नहीं किया था।
रूस और यूक्रेन में तनाव के चलते बढ़े कच्चे तेल दाम: रूस, अमेरिका और सऊदी अरब के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है। ऐसे में यदि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध होता है तो दुनिया में बड़ी मात्रा ने कच्चे तेल की कमी हो जाएगी। जिसके कारण दुनिया में कच्चे तेल के दाम तेजी से ऊपर जा रहे हैं।