मौजूदा समय में पेट्रोल और डीजल की कीमत में काफी तेजी आ चुकी है। पेट्रोल के साथ-साथ डीजल भी शतक लगा चुका है। देश के कई हिस्‍सों में डीजल के दाम 100 रुपए के पार चुके हैं। जिससे आम लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। डीजल की कीमतों में इजाफा होने से बाकी चीजों के दाम भी बढ़ रहे हैं। ऐसे में रिजर्व बैंक ऑफ इंडि‍या के गवर्नर शक्तिकांत दास ने केंद्र सरकार को सलाह दी है।

उन्‍होंने एक मीडिया हाउस को दिए इंटरव्‍यू में केंद्र सरकार को पेट्रोल और डीजल की कीमत को लेकर सलाह दी है। उन्‍होंने कहा है कि केंद्र सरकार को पेट्रोल और डीजल पर टैक्‍स कम करें। उन्‍होंने कहा कि आरबीआई इंफ्लेशन को नियंत्रण में करना चाहता है। ताकि इकोनॉमी को एक बार फि‍र से पटरी पर लाया जा सके। आइए आपको भी बताते हैं कि उन्‍होंने इस बारे में और क्‍या कहा है।

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि फ्यूल पर टैक्‍स घटाने से कीमत में गिरावट देखने को मिलेगी। जिसका असर इंफ्लेशन पर देखने को मिलेगा। उन्होंने कहा सरकार इसे लेकर काफी संवेदनशील और गंभीर है। अगर मौद्रि‍क पॉलिसी में बदलाव करते हैं तो इसका असर इकोनॉमि‍क रिकवरी पर नकारात्‍मक देखने को मिल सकता है। इसके साथ ही हम महंगाई पर भी लगाम लगाना चाहते हैं।

रायटर्स की रिपोर्ट के अनुसार भारत में रिटेल इंफ्लेशन जून महीने की ऊंचाई पर पहुंच सकती है। जिसकी वजह खाद्य पदार्थ और फ्यूल की कीमतों में इजाफा होना है। लगातार दूसरे महीने रिटेल इनफ्लेशन आरबीरआई के 2 से 6 फीसदी के लक्ष्य से ऊपर बना रहा।

आरबीआई गवर्नर का कहना है कि आरबीआई मुद्रास्फीति के अनुमान को कोरोना से पहले के 4 फीसदी के स्तर के करीब रखना चाहता है। इससे निवेशकों के लिए अनिश्चितता में कमी आएगी और ग्रोथ को बढ़ावा मिलेगा। पिछले महीने सरकार ने स्‍मॉल कारोबारियों को बैंक लोन गारंटी देने का ऐलान किया है। उसने स्वास्थ्य और पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए भी कदम उठाए।

एक तरफ पेट्रोल और डीजल पर काफी ज्यादा टैक्स है। दूसरी तरफ वैश्विक बाजार में क्रूड ऑयल की कीमतें भी आसमान छू रही हैं। जिसकी वजह से देश में मुद्रास्फीति पर दबाव बढ़ रहा है। शक्तिकांत दास के अनुसार अमरीका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की पॉलिसी का असर भारत सहित सभी अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ेगा।

आरबीआई ने कहा कि देश में विदेशी मुद्रा भंडार लगातार बढ़ रहा है। जिससे देश का आत्‍मविश्‍वास काफी बढ़ा हुआ, लेकिन देश को इससे संतुष्‍ट नहीं होना चाहिए। मौजूदा समय में देश में 609 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा भंडार है। जो कि 15 महीने के आयात के लिए पर्याप्त है। साथ ही इससे देश पर कुल बाहरी कर्ज का भुगतान किया जा सकता है।