पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार 11वें दिन इजाफा हुआ है। बुधवार से पेट्रोल के दाम में 55 पैसे प्रति लीटर का इजाफा हुआ है, जबकि डीजल के रेट में भी 60 पैसे का इजाफा हुआ है। इस तरह 11 दिनों में पेट्रोल के दाम में 6.02 रुपये प्रति लीटर का इजाफा हुआ है, जबकि डीजल में 6.40 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है। इस बढ़ोतरी के साथ ही दिल्ली में पेट्रोल का रेट 77.28 रुपये प्रति लीटर हो गया है। डीजल का दाम 75.79 रुपये प्रति लीटर हो गया है।
इसके अलावा अलग-अलग राज्यों में वैट की दर में भिन्नता के चलते भाव में अंतर है। पेट्रोल और डीजल के रेट इस तरह से बीते 21 महीनों के सबसे ऊंचे स्तर पर हैं। इससे पहले अक्टूबर 2018 में पेट्रोल 84 रुपये लीटर था, जबकि डीजल का भाव 75.45 रुपये लीटर था। तब ग्लोबल मार्केट में क्रूड ऑयल 80 डॉलर प्रति बैरल था, जो अब 35 से 36 डॉलर के बीच बना हुआ है। इस लिहाज से देखें तो वैश्विक बाजार के मुकाबले भारत में पेट्रोल और डीजल के रेट में बड़ा अंतर है।
इससे पहले मंगलवार को भी पेट्रोल के रेट में 47 पैसे का इजाफा हुआ था, डीजल के रेट में 57 पैसे की बढ़ोतरी देखने को मिली थी। कोरोना के चलते भले ही क्रूड ऑयल के दाम रेकॉर्ड गिरावट की ओर हैं, लेकिन भारतीय उपभोक्ताओं को इसका कोई फायदा मिलता नहीं दिख रहा है। इसकी वजह यह है कि सरकार ने भारत में पेट्रोल और डीजल पर टैक्स की दर को 70 फीसदी तक बढ़ा दिया है, जो इसी साल मार्च तक 50 पर्सेंट ही थी। लेकिन 16 मार्च को सरकार ने पेट्रोल और डीजल दोनों पर 3 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी बढ़ा दी थी। यही नहीं क्रूड ऑयल के दाम और गिरे तो सरकार ने 6 मई को एक बार फिर से पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 10 रुपये प्रति लीटर बढ़ा दी, जबकि डीजल पर 13 रुपये टैक्स बढ़ा दिया।
पेट्रोल और डीजल के दामों में इजाफे के उलट कई आर्थिक जानकारों का कहना था कि सरकार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड के रेट में कमी का फायदा सीधे तौर पर ग्राहकों को देना चाहिए। इससे मांग में इजाफा होगा और अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। हालांकि सरकार ने इसके उलट पेट्रोल और डीजल के दामों में बढ़ोतरी के जरिए अपने खजाने को भरने का रास्ता चुना है। सरकार का मानना है कि टैक्स में इजाफे के जरिए उसे कोरोना संकट से निपटने के लिए फंड जुटाने में मदद करेगी।