दिल्ली की एक अदालत ने जेटलाइट के दस वरिष्ठ इंजीनियरों द्वारा एअरलाइन के खिलाफ दायर उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि एअरलाइन ने जेट एअरवेज के प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए उम्मीदवारों का चयन करने में भेदभाव किया है। अदालत ने इस याचिका को खारिज करते हुए कहा है कि दोनों एअरलाइन अलग-अलग कंपनियां हैं और उन्हें प्रशिक्षित करने की कोई संविदागत बाध्यता नहीं है। याचिका में अदालत से एअरलाइन को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया था कि वह जेट एअरवेज के प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए चुने गए उम्मीदवारों की सूची को वापस ले ले। विमान के रख-रखाव से जुड़े इंजीनियरों की इस याचिका को खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया तो जेट लाइट के लिए ऐसी कोई संविदागत बाध्यता नहीं है, जिसके तहत वह शिकायतकर्ताओं को जेट एअरवेज के विमानों के रख-रखाव का प्रशिक्षण देने के लिए मजबूर हो।
याचिका में दावा किया गया था कि सहारा एअरलाइन द्वारा नियुक्त किए गए इंजीनियर जेट लाइट इंडिया लिमिटेड से जुड़ गए थे और फिर 19 अगस्त, 2008 से उन्हें जेट एअरवेज इंडिया लिमिटेड में रख लिया गया। इसमें कहा गया कि जब जेट समूह ने सहारा के शेयर खरीदे तो सहारा एअरलाइन लिमिटेड की रोजगार की जो शर्तें थीं, उनमें कुछ खास बदलाव नहीं किया गया। वरिष्ठ इंजीनियरों ने भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा है कि प्रशिक्षण के लिए उनके नामांकनों पर विचार भी नहीं किया गया और जेट एअरवेज में उनके कनिष्ठ समकक्षों को चुन लिया गया, जबकि इसके लिए उम्मीदवारों को वरिष्ठता क्रम के आधार पर चुना जाना था।
अदालत ने कहा कि वर्तमान मामले में, शिकायतकर्ता चयनित उम्मीदवारों की सूची पर इस आधार पर अंतरिम रोक चाहते हैं कि उम्मीदवारों का चयन जेट एअरवेज के कर्मचारियों के पक्ष में भेदभावपूर्ण तरीके से किया गया है। अदालत ने आगे कहा कि हालांकि, यह बात महत्त्वपूर्ण है कि स्थानांतरण के बावजूद शिकायतकर्ता जेटलाइट के ही कर्मचारी हैं और स्पष्ट तौर पर यह जेट एअरवेज से अलग कंपनी है। अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह लगता है कि नए विमान पर मालिकाना हक केवल जेट एअरवेज का है। ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है, जिसमें दो एअरलाइनों के बीच विमानों को साझा किया जा सकता हो।
शिकायतकर्ता प्रकाश चंद्र, एपीएस तोमर, उमेश कुमार, आरएन कुमार, नितिन कुमार मलिक, हरदीप सिंह, हरप्रीत सिंह, अरुणाचल प्रियदर्शी, नरेश कुमार यादव और सुभाष परीदा- सभी विमान के रखरखाव से जुड़े इंजीनियर हैं और उनका दावा है कि करियर के विकास के लिए जरूरी इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए चुने गए कुछ उम्मीदवारों के मुकाबले वे वरिष्ठ हैं। अदालत ने उनके दावों के खारिज करते हुए कहा है कि हालांकि, यह सही है कि प्रशिक्षण के लिए नामांकन का ईमेल शिकायतकर्ताओं समेत सभी कर्मचारियों को भेजा गया था।
लेकिन जेट एअरवेज के साथ कोई औपचारिक समझौता नहीं होने की स्थिति में जेट एअरवेज पर इसके लिए दबाव नहीं बनाया जा सकता है। अदालत ने कहा कि भले ही शिकायतकर्ताओं से नामांकन मंगवाए गए थे। लेकिन नामांकन मंगवाना बाध्यकारी समझौता नहीं होता।
प्रतिवादी दोनों एअरलाइनों ने याचिका का यह कहते हुए विरोध किया था कि शिकायतकर्ता जेट एअरवेज के नहीं, बल्कि जेटलाइट के कर्मचारी हैं, इसलिए उन्हें जेट एअरवेज पर इस बात का दबाव बनाने का अधिकार नहीं है कि वह जेट एअरवेज द्वारा खरीदे गए उस विमान के लिए उन्हें प्रशिक्षित करे, जिसका संचालन केवल दिल्ली और मुंबई हवाई अड्डे पर ही होना है।
