कार खरीदने के लिए पर्सनल लोन एक अच्छा विकल्प हो सकता हैं, लेकिन ये कुख खास परिस्थितियों में ही सही समझ आता है। हालांकि इस तरह के डील के लिए कार लोन भी बेहतर विकल्प होते हैं। अगर आप कार खरीदने के लिए बेहतर लोन विकल्प के साथ डील करना चाहते हैं, तो यहां पर्सनल लोन और कार लोन, दोनों के फायदों और नुकसान के बारे में जानकर गाड़ी खरीदने के लिए आगे बढ़ देख सकते हैं।
क्या हैं फायदे
कार खरीदने के लिए पर्सनल लोन के कई प्रमुख फायदों में से एक फ्लेक्सिबिलिटी यानी लचीलापन है। लंबी अवधि के निवेश के लिए जब पर्सनल लोन की मदद ली जाती हैं तो ऐसे में फाइनेंस अप्रूवल जैसे प्रक्रियाओं के लिए कार खरीदार को शोरूम के चक्कर नही लगाने पड़ते जैसा की कार लोन में होता है। साथ ही पर्सनल लोन में कार लोन के नियमों के तहत बाध्य होने पड़ते हैं।
पर्सनल लोन के मामले में नई कार खरीदना भी जरूरी नहीं है। पर्सनल लोन की मदद से खरीदार किसी प्राइवेट सेलर से पुरनी कार के लिए भी डील कर सकता है। ऐेसा करके वह पैसे भी बचा सकता है। इसके अलावा अगर आपको किसी प्राइवेट सेलर से कोई अच्छा ऑफर मिलता है और आपको जल्द फैसला लेने की जरूरत है तो ले पाते हैं।
कार लोन अप्रूवल की प्रतीक्षा करने के बजाय पर्सनल लोन के लिए आवेदन करने से प्रक्रिया में तेजी आ सकती है। कार लोन के अप्रूवल प्रक्रिया के मुकाबले पर्सनल लोन के लिए कम समय लगते हैं। प्राइवेट सेलर की ओर से अच्छा ऑफर मिलने पर पर्सनल लोन की मदद से पुरानी कार आसानी से खरीदा जा सकता है।
कम हो सकते हैं ब्याज दर
कार खरीदने के लिए जब बात पर्सनल लोन और कार लोन के बीच आती है तो ऐसे स्थिति में क्रेडिट स्कोर काफी मायने रखता है। आमतौर पर कार ऋण की तुलना में पर्सनल लोन पर अधिक ब्याज दर होती हैं। अगर कार खरीदार का क्रेडिट स्कोर अच्छा है, तो कार लोन की तुलना में पर्सनल लोन कम दर पर मिल सकते हैं।
अगर आप बैंक या वित्तीय संस्थान के सभी शर्तों को पूरा करने में पात्र हैं, तो ऑटो लोन की तुलना में पर्सनल लोन कम समय में अप्रूव हो सकते हैं। पर्सनल लोन में कुछ भी गिरवी नहीं रखना होता है और यह लोन अनसिक्योर माना जाता है। पर्सनल लोन में, बैंक या वित्तीय संस्थान को सुव्यवस्थित ढंग से आकलन करना पड़चा है। दूसरी तरफ कार लोन में वित्तीय संस्थान या बैंक गाड़ी को कोलेटरल के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है यानी कार लोन में गाड़ी को ही सिक्योरिटी के तौर पर गिरवी रखा जाता है। इसके लिए गाड़ी की वैल्यू और कंडीशन को तय करने के लिए अतिरिक्त चरणों की आवश्यकता होती है। मिसाल के लिए अगर आप 15 लाख रुपये की कार खरीदना चाहते हैं, तो बैंक इस कीमत के 80-90 फीसदी के बराबर लोन आसानी से मुहैया कराते हैं। लेकिन इसके लिए किश्त चुकाने की क्षमता होनी चाहिए। वहीं आप पर्सनल लोन लेना चाहते हैं तो बैंक या वित्तीय संस्थान के पास सिक्योरिटी के तौर पर कुछ नहीं होता। उन्हें सिर्फ आपकी क्रेडिट हिस्ट्री और लोन चुकाने की क्षमता यानी आमदनी को देखकर ही लोन देना होता है।
प्री-क्वालीफिकेशन होने पर आपको सॉफ्ट क्रेडिट चेक के आधार पर आपका लोन अप्रूवल कम समय होगा। इसका आपके क्रेडिट स्कोर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और प्री-क्वालीफिकेशन पर औपचारिक रूप से अप्लाई करने के बाद बैंक या वित्तीय संस्थान के लिए फाइनल अप्रूवल प्रोसेस को तेज करना संभव हो जाता है।
क्या है नुकसान
अधिक ब्याज दर
कार लोन की तुलना में पर्सनल लोन पर ब्याज दरें अधिक होती हैं। कार लोन एक सिक्योर्ड लोन (secured loan) है। इसमें बैंक के पास गाड़ी तब तक गिरवी रहती है, जब तक उसका लोन पूरी तरह से नहीं चुका दिया जाता है। अगर खरीदार वक्त पर लोन रिपेमेंट नहीं करते हैं तो बैंक या वित्तीय संस्थान कार जब्त कर सकते हैं। यही वजह है कि इसमें बैंक के लिए रिस्क कम हो जाता है। वहीं पर्सनल लोन एक अनसिक्योर्ड लोन (unsecured loan) होता है। जिसका मतलब है कि बैंक या वित्तीय संस्थान के पास सिक्योरिटी के तौर पर कुछ नहीं होता। नतीजतन बैंक का रिस्क बढ़ जाता है और इस तरह के लोन पर ब्याज दरें अधिक रहती हैं।
पर्सनल लोन देते समय कोई भी वित्तीय संस्थान अप्लाई करने वाले शख्स की मंथली इनकम और क्रेडिट स्कोर जैसी बातों पर ध्यान देते हैं। जबकि कार लोन देते समय इन बातों के अलावा गाड़ी की कीमत पर भी गौर किया जाता है। कार लोन की तुलना में, पर्सनल लोन की रिपेमेंट पीरियड अक्सर कम होती है। यहां तक कि अगर कुल लोन अमाउंट कार लोन के बराबर है, तो इसका मतलब है कि पर्सनल लोन में मंथली किस्त अधिक बनेगी। पर्सनल लोन अक्सर अप्रत्याशित खर्चों के भुगतान के लिए जाने जाते हैं जिनके लिए कम रिपेमेंट पीरियड अधिक फायदेमंद हो सकती है। कारें कई सालों तक चलने के लिए होती हैं ऐसे में लंबी अवधि वाले लोन लेने पर मंथली किस्म कम बन सकती है।
अनसिक्योर लोन
कार लोन के उलट पर्सलन लोन सिक्योर नहीं होते हैं। अगर आप वक्त पर पर्सनल लोन नहीं चुका पाते हैं तो बैंक या वित्तीय संस्थान कार का मालिकाना हक जब्त कर लेता है। कार लोन एक सिक्योर होता है। यह दर्शाता है कि कार लोन के लिए कोलेटरल के रूप में काम करता है। अगर आप अपना भुगतान नहीं करते हैं तो बैंक या वित्तीय संस्थान के पास अपने घाटे की भरपाई के लिए गिरवी पड़ी गाडी को बेचने का अधिकार है।
पर्सनल लोन के लिए कोलेटरल जरूरत नहीं है। डिफॉल्ट की स्थिति में जब्त करने के लिए किसी ठोस एसेट की कमी के कारण, बैंक या वित्तीय संस्थान अतिरिक्त जोखिम उठाता है। चूंकि पर्सनल लोन अनसिक्योर होते हैं, इसलिए उनकी ब्याज दरें ऑटो ऋण की तुलना में अधिक होती हैं।
इससे पता चलता है कि पर्सनल लोन डिफॉल्ट की स्थिति में, लेंडर आगे की कर्ज वसूली रणनीतियों को अपना सकता है, जैसे रिपेमेंट शेड्यूल की व्यवस्था करने के लिए आपसे संपर्क करना या डिफ़ॉल्ट के बारे में क्रेडिट ब्यूरो को सूचित करना, इन दोनों में आपके क्रेडिट स्कोर को गंभीर रूप से कम करने की क्षमता है।
अगर आप अपनी खोज में फ्लेक्सिबिलिटी और तेज अप्रूवल प्रोसेस चाहते हैं, इसके साथ ही आपका क्रेडिट स्कोर अच्छा है, तो कार खरीदने के लिए पर्सनल लोन एक बेहतर विकल्प है। लेकिन ध्यान रहे कि कार लोन की तुलना में पर्सनल लोन पर ब्याज दरें अधिक और रिपेमेंट पीरियड कम हो सकती हैं। ऐसे सलाह दी जाती है कि जहां से भी आप लोन ले रहे हैं, उनके नियम शर्तों को सावधानी पूर्वक पढ़ लें।