Income Tax Appellate Tribunal, दिल्ली ने हाल ही में एक फैसला सुनाते हुए कहा कि आयकर (आई-टी) अधिनियम, 1961 के तहत हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए) छूट को इस आधार पर अस्वीकार नहीं किया जा सकता है कि निर्धारिती ने अपने पति या पत्नी के किराए का भुगतान किया था।
इसके अलावा अगर वह अपने माता- पिता के घर का किराया दे रहा है तो भी वह क्लेम कर सकता है।
इसके अलावा अगर व्यक्ति खुद दुसरे मकान में रह रहा है और उसका परिवार पैतृक गांव में खुद के मकान में रह रहा है तो वह अपने किराए के मकान पर भी छूट का दावा कर सकता है। जबकि अगर आप अपने माता-पिता के साथ रहते हैं और उन्हें किराया देते हैं तो आप एचआरए के तहत छूट का दावा कर सकते हैं।
लेकिन छूट का दावा करने के लिए आपके पास सही दस्तावेज होना चाहिए और इस बात का भी प्रूफ हो कि आपके माता- पिता उस किराए के मकान में रह रहे हैं। इसके लिए आपके पास बैंकिंग लेनदेन और किराए की रसीदों का रिकॉर्ड रखें क्योंकि आपका दावा कर विभाग द्वारा खारिज किया जा सकता है, यदि वे लेनदेन की प्रामाणिकता से आश्वस्त नहीं हैं। क्योंकि इससे पहले मुंबई आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण द्वारा एक ऐसा ही मामला खारिज कर दिया गया था।
नियम के अनुसार, हाउंस रेंट अलाउंट के छूट का दावा करने के लिए जरूरी है कि आपके पास दस्तावेज तो सहीं हो ही। साथ ही आप इस लाभ के दायरे में आते हों। इसके तहत सिर्फ वह व्यक्ति ही दावा कर सकता है, जो वेतनभोगी है और टैक्स पेयर है। खुद का व्यवसाय करने वाला व्यक्ति इसके तहत दावा नहीं कर सकता है।
कितना कर छूट का लाभ
तय किए गए एचआरए के अनुसार, मेट्रो शहरों में रहने पर वेतन का 50%, या गैर-मेट्रो शहरों के लिए 40% और वार्षिक वेतन के 10% से अधिक वार्षिक भुगतान किए गए किराए की अधिकता पर छूट का दावा किया जा सकता है।