हाल ही में रिजर्व बैंक ऑफ‍ इंडिया की ओर से फि‍क्‍स्‍ड डिपॉजिट और टर्म डिपॉजिट से संबंध‍ित नियम को बदला है। बदले हुए नियम के अनुसार एफडी की मेच्योरिटी के बाद भी पैसे बैंक के पास पड़े रहने और उसका दावा ना होने पर ब्याज सेविंग अकाउंट या एफडी में से जिस पर कम होगा वो ही दिया जाएगा। इस फैसले के बाद कई तरह के कयास लगने शुरू हो गए हैं।

आपको बता दें क‍ि कई बिजनेस हाउसेज ने अपने बेकार पड़े रुपयों को फिक्‍स्‍ड डिपोजिट और टर्म डिपॉजिट में लगा रखा था। जिससे वो मोटी कमाई कर रहे थे। इन बिजनेस हाउसेज ने शॉर्ट टर्म मेूं निवेश ट्रेजरी मैनेज्‍मेंट की तरह से एफडी और टीडी का इस्‍तेमाल कर रहे थे। जिससे बैंकों को नुकसान उठाना पड़ रहा था। इसे ही खत्‍म करने के लिए आरबीआई को यह फैसला लेना पड़ा। आइए आपको भी बताते हैं इस फैसले से किन लोगों को फायदा होगा और किन लोगों को नुकसान।

इसलिए लेना पड़ा आरबीआई को यह फैसला: देश के बिजनेस हाउसेज एफडी और टीडी को ट्रेजरी मैनेज्‍मेंट की तरह इस्‍तेमाल करने लगे थे। जिसे रोकने के लिए रिजर्व बैंक को यह फैसला लेना पड़ा। अगर देश के बिजनेस हाउस करोड़ों रुपयों को बैंक में छोड़ देते हैं तो उन्‍हें सेविंग अकाउंट की दर से 3 से 4 फीसदी की दर ब्‍याज मिलेगा। जोकि एक अच्‍छा रिटर्न कहा जा सकता है। आपको बता दें क‍ि देश में कई बैंक ऐसे भी हैं जो सेविंग अकाउंट पर 7 फीसदी तक रिटर्न देते हैं।

अभी तक क्‍या है नियम : अभी नियम यह है कि अगर एफडी या टीडी की मेच्योरिटी होने के बाद भी रुपया बैंक में जमा रहता है उसे कोई क्‍लेम नहीं करता है तो तो बैंक उस पर सेविंग्स अकाउंट जितना ब्याज देते हैं। नए नियम के अनुसार अब बैंक सेविंग्स अकाउंट के हिसाब से या फिर उस रेट पर ब्याज दे सकते हैं जिस पर एफडी के लिए या टर्म डिपॉजिट के लिए कॉन्ट्रैक्ट हुआ था। दोनों में जो भी कम होगा उस पर ब्‍याज ऑफर कर सकते हैं।

इन लोगों को होगा नुकसान : आरबीआई के इस फैसले से देश के बड़े ब‍िजनेस हाउसेज को नुकसान होगा। अब उन्‍हें पहले के मुकाबले मैच्‍योरिटी के बाद कम ब्‍याज मिलेगा। यह भी मुमकिन है कि कुछ बैंक सेविंग अकाउंट की तुलना एफडी पर कम ब्‍याज दे रहे हों। अगर बिजनस हाउसेज को अपने रुपयों को बैंक एफडी में निवेश करना ही है तो लांग टर्म में निवेश करेंगे। रिटेल एफडी पर बैंक अपने हिसाब से फैसला ले सकते हैं।

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यह भी होगा फायदा : वास्‍तव में रिजर्व बैंक की ओर से य‍ह फैसला इसलिए भी लिया है ताकि‍ बिजनेस हाउस अपना रुपया बैंकों जमा ना कर बिजनेस एवं नए व्‍यवसायों को खोलने में यूज करें। जिससे देश में रोजगार में इजाफा होने के साथ सरकार के टैक्‍स में भी इजाफा देखने को मिलेगा।

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कंफ्यूजन हुआ दूर : आरबीआई के नए सर्कूलर के कारण कई तरह कंफ्यूजन पैदा हुए हैं। लोगों ने मान लिया है कि आरबीआई के इस फैसले का असर ऑटो रिन्यूअल पर भी देखने को मिलेगा, लेकिन ऐसा नहीं है। आरबीआई से जुड़े जानकारों के अनुसार ऑटो रिन्यूअल को पहले की तरह जारी रखा जाएगा। बैंक के अनुसार कस्‍टमर्स की ओ से जिस ऑटो रिन्यूअल की अनुमति मिली है उसे बैंक द्वारा नकारा नहीं जा सकता है।