सरकार की ओर से पेश किए गए आंकड़े के अनुसार, 1.59 लाख करोड़ रुपए के इक्विटी में कुल निवेश बढ़कर 2.27 लाख करोड़ रुपए हो चुका है, जिससे 67,619 करोड़ रुपए का लाभ हुआ है। आपको इन निवेशों से उत्पन्न रिटर्न की वास्तविक दर के बारे में जानकारी नहीं होगा, जिसे जानना आवश्यक है। यह दर 6.5 और 7.5% के बीच होने उम्‍मीद रहती है। हालाकि यह अधिक भी हो सकता है।

एक्‍सपर्ट का मानना है कि ईपीएफ ईक्विटी निवेश को बढ़ाना एक अच्‍छा कदम हो सकता है। ईपीएफओ को यह गणना करनी चाहिए और इक्विटी हिस्से के जोखिम के बारे में चिंताओं का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के लिए इसे नियमित रूप से जारी करना चाहिए।

अगर बाजार में तेजी से गिरावट आती है तो रुपये की कुल बढ़त में गिरावट आ सकती है। हालांकि, अगर बाजार सकारात्‍मक है तो रिटर्न की वार्षिक दर निश्चित रूप से सकारात्मक रहेगी और ईपीएफओ की कमाई के निश्चित आय घटक से काफी अधिक रहेगी, जो ईपीएफओ सदस्यों के लिए एक बड़ी सुविधा होगी।

इससे ईपीएफ में इक्विटी एक्सपोजर अधिक होना चाहिए। क्‍योंकि अगर इक्विटी एक्‍सपोजर अधिक होता है तो ईपीएफ सदस्‍यों को इसका बड़ा लाभ पहुंचेगा। साथ ही उन्‍हें एक उच्‍च रिटर्न भी मिल सकता है। यह उच्‍च रिटर्न लोगों को अधिक बढ़ते मुद्रास्फिदी से मुकाबला करने में मदद करेगा और एक अच्‍छा फंड जुटाने में मदद भी करेगा।

लंबी अवधि में इक्विटी के लिए जोखिम कम व व्यापार-बंद बेहद सकारात्मक है, और निश्चित आय के लिए यह बेहद नकारात्मक हो सकता है। यानी अगर आप रिटायमेंट तक ईपीएफओ में निवेशित हैं और आपका इक्विटी परसेंट अधिक है तो आपको बड़ा मुनाफा मिल सकता है। हालाकि छोटे अवधि के लिए इसमें थोड़ा रिस्‍क हो सकता है।

गौतलब है कि कुछ दिन पहले ईपीएफओ बोर्ड ने इक्विटी सीमा को 15% से बढ़ाकर 20% करने के प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी गई थी, क्योंकि कर्मचारियों के प्रतिनिधियों ने इसका विरोध किया था। हालाकि ईपीएफओ सदस्‍य चाहें तो इक्विटी में अपना निवेश बढ़ा सकते हैं।