MukhyaMantri Kanya Sumangla Yojana in Hindi: महिलाओं को और सशक्त बनाने के साथ उनके जीवन स्तर में सुधार लाने के मकसद से उत्तर प्रदेश सरकार भी कई किस्म की योजनाएं चलाती है। इनमें विवाह अनुदान योजना और भाग्यलक्ष्मी योजना आदि के अलावा मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना (MukhyaMantri Kanya Sumangla Yojana) भी है। यह एक अप्रैल 2019 को लागू की गई थी।
प्रदेश सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग के मुताबिक, इस योजना का मुख्य उद्देश्य कन्या भ्रूण हत्या को रोकना, समान लैंगिक अनुपात स्थापित करना, बाल विवाह सरीखी कुप्रथा पर लगाम लगाना, बच्चियों के स्वास्थ्य और शिक्षा को बढ़ावा देना, बेटियों को स्वावलंबी बनाने में मदद करना व उनके जन्म को लेकर समाज में सकारात्मक सोच पैदा करना है।
योजना छह श्रेणियों में लागू होती है और उसी हिसाब से चरण दर चरण बेटियों और उनके परिवारों को मदद मिलती है। देखें ब्यौरा:
कैसे और किन्हें ट्रांसफर होती है रकम?: योजना के तहत दी जाने वाली सहायता राशि लाभार्थियों को पीएफएमएस (Public Financial Management System : PFMS) के जरिए बैंक खाते में ट्रांसफर कर दी जाती है। पर अगर लाभ पाने वाला वयस्क नहीं है, तब यह रकम मां के अकाउंट में पहुंचाई जाती है। मां न होने की स्थिति यह पेमेंट पिता के खाते में भेजी जाती है। अगर दोनों ही इस दुनिया में नहीं है, तब इस हालत में अभिभावक के खाते में पैसे दिए जाते हैं।
इस योजना के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन, दोनों ही तरीकों से एप्लाई किया जा सकता है। स्कीम से जुड़ी और जानकारी के लिए आप mksy.up.gov.in वेबसाइट का रुख कर सकते हैं।
योजना का कौन-कौन ले सकता है लाभ?:
- लाभार्थी का परिवार यूपी निवासी होना चाहिए। स्थायी निवास प्रमाण पत्र होना भी जरूरी है। पता साबित करने के लिए जो दस्तावेज मान्य होंगे, उनमें राशन कार्ड/आधार कार्ड/वोटर पहचान पत्र/बिजली/टेलीफोन का बिल है।
- लाभार्थी के परिवार की सालाना आय अधिकतम तीन लाख रुपए होनी चाहिए।
- किसी परिवार की अधिकतम दो ही बच्चियों को योजना का लाभ मिल सकेगा।
- फैमिली में अधिकतम दो बच्चे हों।
- किसी महिला को दूसरे प्रसव से जुड़वा बच्चे होने पर तीसरी संतान के रूप में लड़की को भी लाभ मिलेगा। अगर किसी महिला को पहले प्रसव से बालिका है और दूसरे प्रसव से दो जुड़वा बालिकाएं ही होती हैं तो ऐसी अवस्था में ही तीनों बालिकाओं को लाभ मिलेगा।
- अगर किसी परिवार ने अनाथ बालिका को गोद लिया हो तो परिवार की जैविक संतानों और विधिक रूप में गोद ली संतानों को शामिल करते हुए अधिकतम दो बच्चियां इस योजना का लाभ पाने की हकदार होंगी।